अन्य गुणस्थानों में परीषह कहते हैं-
बादर-साम्पराये सर्वे ॥१२॥
अर्थ - बादर साम्पराय अर्थात् छठे से लेकर नौवें गुणस्थान तक सब परीषह होते हैं।
English - All the affections arise in the case of the ascetic with gross passions in sixth to ninth stage.
विशेषार्थ - यद्यपि नौवें गुणस्थान का नाम बादर साम्पराय है। किन्तु यहाँ बादरसाम्पराय से नौवां गुणस्थान न लेकर ‘बादरसाम्पराय' शब्द का अर्थ लेना चाहिए। अर्थात् बादर यानि स्थूल और साम्पराय यानि कषाय जिनमें पायी जाती है ऐसे गुणस्थान छठे से नौवें तक हैं। उनमें कषाय का उदय होने से सभी परीषह होते हैं।