इन आठों कर्मों की उत्तर प्रकृतियाँ बतलाते हैं-
पञ्चनवद्वयष्टाविंशतिचतुर्द्विचत्वारिंशद्-द्विपञ्चभेदायथाक्रमम् ॥५॥
अर्थ - ज्ञानावरण के पाँच भेद हैं। दर्शनावरण के नौ भेद हैं। वेदनीय के दो भेद हैं। मोहनीय के अट्ठाईस भेद हैं। आयु के चार भेद हैं। नाम के बयालीस भेद हैं। गोत्र के दो भेद हैं और अन्तराय के पाँच भेद हैं।
English - The subdivisions of this eight kind of bondage are five, nine, two, twenty-eight, four, forty-two, two and five kinds respectively.