Jump to content
मूकमाटी प्रश्न प्रतियोगिता विजेता सूची ×
मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज
  • अध्याय 8 : सूत्र 3

       (0 reviews)

    Vidyasagar.Guru

    इसके बाद बन्ध के भेद कहते हैं-

     

    प्रकृति-स्थित्यनुभव-प्रदेशास्तद्विधयः ॥३॥

     

     

    अर्थ - प्रकृति बन्ध, स्थिति बन्ध, अनुभाग बन्ध और प्रदेश बन्धये बंध के चार भेद हैं।

     

    English - Bondage is of four kinds according to the nature or species of karma, duration of karma, the fruition of karma, and the quantity of space-points of karma.

     

    विशेषार्थ - प्रकृति स्वभाव को कहते हैं। जैसे नीम का स्वभाव कड़वापन है, गुड़ का स्वभाव मीठापन है। इसी तरह ज्ञानावरण कर्म का स्वभाव ज्ञान को ढाकना है, दर्शनावरण का स्वभाव वस्तु के सामान्य प्रतिभास को न होने देना है, वेदनीय का स्वभाव सुख-दु:ख का वेदन है, दर्शन मोह का स्वभाव तत्त्वार्थ का श्रद्धान न होने देना है, चारित्र मोह का स्वभाव संयम को रोकना है, आयु का स्वभाव जीव को किसी एक भव में रोके रखना है, नाम कर्म का स्वभाव नारक, तिर्यञ्च आदि कहलाना है, गोत्र का स्वभाव ऊँच नीच व्यवहार कराना है। अन्तराय का स्वभाव दान वगैरह में विघ्न डालना है। कर्मरूप पुद्गल परमाणुओं में इस प्रकार के स्वभाव का पड़ना प्रकृति-बन्ध है। तथा इस स्वभाव का न छूटना स्थिति है। जैसे बकरी, गाय, भैंस वगैरह का दूध जब तक अपने मिष्ट स्वभाव को नहीं छोड़ता, तब तक उसकी स्थिति कहलाती है। वैसे ही ज्ञानावरण आदि कर्म जितने समय तक अपने स्वभाव को नहीं छोड़ते, कर्मरूप बने रहते हैं, उतनी उनकी स्थिति होती है। इस स्थिति के बंधने को स्थिति-बन्ध कहते हैं। तथा जैसे बकरी, गाय और भैंस के दूध में कम ज्यादा शक्ति होती है, वैसे ही कर्मों में जो तीव्र या मन्द फल देने की शक्ति पड़ती है, उसे अनुभव या अनुभाग बन्ध कहते हैं। जो पुद्गल स्कन्ध कर्मरूप होते हैं, परमाणु के द्वारा उनका प्रमाण निश्चय होना कि इतने कर्म परमाणुओं का बन्ध हुआ सो प्रदेश-बन्ध है। इस तरह बन्ध के चार भेद हैं। इनमें से प्रकृति बन्ध और प्रदेश बन्ध तो योग से होते हैं और स्थिति बन्ध, अनुभाग बन्ध कषाय से। होते हैं। योग और कषाय के तीव्र या मन्द होने से इन बन्धों में अन्तर पड़ सकता है।


    User Feedback

    Create an account or sign in to leave a review

    You need to be a member in order to leave a review

    Create an account

    Sign up for a new account in our community. It's easy!

    Register a new account

    Sign in

    Already have an account? Sign in here.

    Sign In Now

    There are no reviews to display.


×
×
  • Create New...