अब शेष पाँच कर्मों की जघन्य स्थिति कहते हैं-
शेषाणामन्तर्मुहूर्ता ॥२०॥
अर्थ - ज्ञानावरण, दर्शनावरण, मोहनीय, आयु और अन्तराय कर्म की जघन्य स्थिति अन्तर्मुहूर्त है। इनमें से मोहनीय की जघन्य स्थिति नौवे गुणस्थान में ही बंधती है। आयु की जघन्य स्थिति संख्यात वर्ष की आयु वाले कर्मभूमियाँ मनुष्य और तिर्यञ्चों के बंधती है। और शेष तीन कर्मों की जघन्य स्थिति सूक्ष्मसाम्पराय गुणस्थान में बंधती हैं।
English - The minimum duration of the rest is one antarmuhurta (one antarmuhurta is almost anything less than one muhurta).