अब आयु कर्म की उत्कृष्ट स्थिति कहते हैं-
त्रयस्त्रिंशत्सागरोपमाण्यायुषः ॥१७॥
अर्थ- आयुकर्म की उत्कृष्ट स्थिति तैंतीस सागर प्रमाण है। यह स्थिति संज्ञी पञ्चेन्द्रिय पर्याप्तक के ही होती है।
English - Thirty-three sagaras is the maximum duration of life karma.