सर्वप्रथम अहिंसा व्रत की भावनाएँ कहते हैं-
वाङ्मनोगुप्तीर्यादाननिक्षेपणसमित्यालोकितपान भोजनानि पञ्च ॥४॥
अर्थ - वचन गुप्ति, मनो गुप्ति, ईर्यासमिति, आदान-निक्षेपण समिति और आलोकित पान भोजन ये पाँच अहिंसा व्रत की भावनाएँ हैं।
English - Control of speech, control of thought, observing the ground in front while walking, care in taking and placing things or objects, and examine the food in the sunlight before eating/drinking are five observances of non-violence.
विशेषार्थ - वचन की प्रवृत्ति को अच्छी रीति से रोकना वचन गुप्ति है। मन की प्रवृत्ति को अच्छी रीति से रोकना मनोगुप्ति है। पृथ्वी को देखकर सावधानता पूर्वक चलना ईर्यासमिति है। सावधानता पूर्वक देख कर वस्तु को उठाना और रखना आदान-निक्षेपण समिति है। दिन में अच्छी तरह देखभाल कर खाना-पीना आलोकितपानभोजन है। इन पाँच बातों का ध्यान अहिंसा व्रती को रखना चाहिए।