अब दान का लक्षण कहते हैं-
अनुग्रहार्थं स्वस्यातिसर्गो दानम् ॥३८॥
अर्थ - अपने और दूसरों के उपकार के लिए धन वगैरह का देना, सो दान है। अर्थात् दान देने से दाता को पुण्य बन्ध होता है और जिसे दान दिया जाता है, उस पात्र के धर्मसाधन में उससे सहायता मिलती है। इन्हीं भावनाओं से दिया गया दान वास्तव में दान है।
English - Charity is the giving of one's wealth to another for mutual benefit.