इसके बाद भोगोपभोग परिमाण व्रत के अतिचार कहते हैं-
सचित्तसम्बन्धसम्मिश्राभिषवदु:पक्वाहारः ॥३५॥
अर्थ - सचित्त आहार (सचेतन पुष्प पत्र फल वगैरह का खाना), सचित्त सम्बन्ध आहार (सचित्त से सम्बन्धित वस्तु को खाना), सचित्तसम्मिश्र-आहार (सचित्त से मिली हुई वस्तु को खाना), अभिषव आहार (इन्द्रियों को मद करने वाली वस्तु को खाना), दुष्पक्वाहार (ठीक रीति से नहीं पके हुए भोजन को करना), ये पाँच भोगोपभोग परिमाण व्रत के अतिचार हैं। इस तरह का आहार करने से इन्द्रियाँ प्रबल हो सकती हैं, शरीर में रोग हो सकता है, जिससे उपभोग परिभोग के किये हुए परिमाण में व्यतिक्रम होने की सम्भावना है।
English - Taking food containing (one-sensed) organisms, placed near organisms and mixed with organisms, stimulants and ill-cooked, are the five transgressions of a vow to limit consumables and non-consumables.