इन व्रतों की रक्षा के लिये आवश्यक भावनाओं को बतलाते हैं-
तत्स्थैर्यार्थं भावनाः पञ्चपञ्च ॥३॥
अर्थ - इन व्रतों को स्थिर करने के लिए प्रत्येक व्रत की पाँच-पाँच भावनाएँ हैं। उन भावनाओं का सदा ध्यान रखने से व्रत दृढ़ हो जाते हैं।
English - For the sake of stabilizing the vows, there are five observances for each of these.