क्रमशः अगारी व्रती का स्वरूप बतलाते हैं-
अणुव्रतोऽगारी ॥२०॥
अर्थ - जो पाँचों पापों का एकदेश त्याग करता है। उस अणुव्रती को अगारी कहते हैं। अर्थात् त्रस जीवों की हिंसा करने का त्याग करना प्रथम अणुव्रत है। राग, द्वेष अथवा हिंसा करने का त्याग करना प्रथम अणुव्रत है। राग, द्वेष अथवा मोह के वशीभूत होकर ऐसा वचन न बोलना, जिससे किसी का घर बरबाद हो जाये या गाँव पर मुसीबत आ जाये, दूसरा अणुव्रत है। जिससे दूसरे को कष्ट पहुँचे अथवा जिसमें राजदण्ड का भय हो ऐसी बिना दी हुई वस्तु को न लेने का त्याग, तीसरा अणुव्रत है। विवाहित या अविवाहित पर-स्त्री के साथ भोग का त्याग, चौथा अणुव्रत है। धन, धान्य, जमीन, जायदाद वगैरह का आवश्यकता के अनुसार एक प्रमाण निश्चित कर लेना, पाँचवां अणुव्रत है। इन पाँचों अणुव्रतों को जो नियमपूर्वक पालता है, वही अगारी व्रती है।
English - One who observes the small vows and lives at home is a householder.