चोरी का लक्षण कहते हैं-
अदत्तादानं स्तेयम् ॥१५॥
अर्थ - बिना दी हुई वस्तु का लेना चोरी है। यहाँ भी ‘प्रमत्तयोगात्। इत्यादि सूत्र से ‘प्रमत्तयोग' पद की अनुवृत्ति होती है। अतः बुरे भाव से जो परायी वस्तु को उठा लेने में प्रवृत्ति की जाती है, वह चोरी है। उस प्रवृत्ति के बाद चाहे कुछ हाथ लगे या न लगे, हर हालत में उसे चोर ही कहा जायेगा।
English - Taking through pramattayoga anything that is not given is stealing.