इसके अनन्तर अजीवाधिकरण के भेद कहते हैं-
निर्वर्तनानिक्षेपसंयोगनिसर्गा द्विचतुर्द्वित्रिभेदाः परम् ॥९॥
अर्थ - निर्वर्तना के दो भेद, निक्षेप के चार भेद, संयोग के दो भेद और निसर्ग के तीन भेद, ये सब अजीवाधिकरण के भेद हैं।
English - Substratum of non-living for influx is of eleven kinds - two production or performance (primary-body, speech, mind, inhalation and exhalation; and secondary-making objects of wood, clay, etc or taking pictures), four kinds of placing (placing on the floor without seeing, without cleaning, in a hurry and any where without care), two combining/mixing (food/drink etc. and any other item) and three urging or behaviour (urging the body, speech and mind to act).
विशेषार्थ - उत्पन्न करने, रचना करने अथवा बनाने का नाम निर्वर्तना है। उसके दो भेद हैं- मूलगुण निर्वर्तना और उत्तरगुण निर्वर्तना। शरीर, वचन, मन और श्वास-निश्वास की रचना करना मूलगुण-निर्वर्तना है और लकड़ी वगैरह पर चित्र आदि बनाना उत्तरगुण निर्वर्तना है। निक्षेप नाम रखने का है। उसके चार भेद हैं- बिना देखे वस्तु को रख देना अप्रत्यवेक्षित निक्षेप है। दुष्टतावश असावधानी से वस्तु को रखना दुःप्रमृष्ट निक्षेप है। किसी भय से या किसी अन्य कार्य करने की शीघ्रता करने से वस्तु को जमीन पर जल्दी से पटक देना सहसा-निक्षेप है। और बिना साफ की हुई तथा बिना देखी हुई भूमि में पड़े रहना अनाभोग - निक्षेप है।
अनेक वस्तुओं के मिलाने को संयोग कहते हैं। उसके दो भेद हैं उपकरण संयोग और भक्तपान संयोग। शीत और उष्ण उपकरणों को मिला देना या शुद्ध और अशुद्ध उपकरणों को मिलाना उपकरण संयोग है। सचित्त और अचित्त खान पान को एक में मिला देना भक्तपान संयोग है। निसर्ग नाम प्रवृत्ति करने का है। उसके तीन भेद हैं- मनोनिसर्ग, वाग्निसर्ग और कायनिसर्ग दुष्टतापूर्वक मन की प्रवृत्ति करना मनोनिसर्ग है। दुष्टतापूर्वक वचन की प्रवृत्ति करना वाग्निसर्ग है। और दुष्टतापूर्वक काय की प्रवृत्ति करना कायनिसर्ग है।