देवायु के आस्रव के कारण कहते हैं-
सरागसंयम-संयमासंयमाकामनिर्जरा-बालतपांसिदैवस्य ॥२०॥
अर्थ - सराग-संयम, संयमासंयम, अकामनिर्जरा और बालतप-ये देवायु के आस्रव के कारण हैं। रागपूर्वक संयम के पालने को सराग-संयम कहते हैं। उस हिंसा का त्याग करने और स्थावर हिंसा के त्याग न करने को संयमासंयम कहते हैं। पराधीनतावश जेलखाने वगैरह में इच्छा न होते हुए भी भूख प्यास वगैरह के कष्ट को शान्ति पूर्वक सहना अकाम-निर्जरा है। आत्मज्ञान रहित तप को बालतप कहते हैं। इनसे देवायु का आस्रव होता है।
English - Restraint with attachment, restraint-cum-non-restraint, involuntary dissociation of karmas and austerities accompanied by perverted faith, cause the influx of life-karmas leading to celestial birth.