सब द्रव्यों को अरूपी कहने से पुद्गल भी अरूपी ठहरता। अतः उसके निषेध के लिए सूत्र कहते हैं-
रूपिणः पुद्गलाः ॥५॥
अर्थ - पुद्गल द्रव्य रूपी हैं।
English - The matter has taste, smell, color, and touch and, therefore, have formed.
विशेषार्थ - यहाँ रूपी कहने से रूप के साथ-साथ रहने वाले स्पर्श, रस, गंध को भी लेना चाहिए, क्योंकि ये चारों गुण साथ ही रहते हैं। ‘पुद्गलाः' शब्द बहुवचन है, सो यह बतलाता है कि पुद्गल द्रव्य भी बहुत है |