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नव आचार्य श्री समय सागर जी को करें भावंजली अर्पित ×
मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज
  • अध्याय 5 : सूत्र 35

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    Vidyasagar.Guru

    इस तरह जघन्य गुण वाले परमाणुओं के सिवा शेष सभी परमाणुओं का बन्ध प्राप्त हुआ। अतः उनमें भी और नियम करते हैं-

     

    गुणसाम्ये सदृशानाम् ॥३५॥

     

     

    अर्थ - गुणों की समानता होने पर सजातीय परमाणुओं का बन्ध नहीं होता।

     

    English - There is no combination between equal degrees of the same property  

     

    विशेषार्थ - यदि बन्धने वाले दो परमाणु सजातीय हों और उनमें बराबर बराबर अविभागी प्रतिच्छेद हों, तो उनका भी बन्ध नहीं होता। जैसे दो गुण स्नेह वाले परमाणु का दो गुण स्नेह वाले परमाणु के साथ बन्ध नहीं होता। दो गुण रूक्षता वाले परमाणु का दो गुण रूक्षता वाले परमाणु के साथ बन्ध नहीं होता। इसी तरह दो गुण रूक्षता वाले परमाणु का दो गुण स्निग्धता वाले परमाणु के साथ बन्ध नहीं होता। हाँ, यदि गुणों में समानता न हो तो सजातीयों का भी बन्ध होता है। आशय यह है कि स्निग्धरूक्षत्वाद् बन्धः' इस सूत्र से केवल स्निग्धता और रूक्षता गुण वाले परमाणुओं का ही बन्ध सिद्ध होता है, स्निग्धता वालों का या रूक्षता वालों का बन्ध सिद्ध नहीं होता। अतः गुणों में विषमता होने पर सजातीयों का भी बन्ध बतलाने के लिए यह सूत्र बनाया गया है।


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