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वतन की उड़ान: इतिहास से सीखेंगे, भविष्य संवारेंगे - ओपन बुक प्रतियोगिता ×
मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज
  • अध्याय 5 : सूत्र 33

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    Vidyasagar.Guru

    इसके समाधान के लिए आगे का कथन करते हैं-

     

    स्निग्धरूक्षत्वाद्बन्धः ॥३३॥

     

     

    अर्थ - स्निग्धता अर्थात् चिक्कणपना और रुक्षता अर्थात् रूखापना। इन दोनों के कारण ही पुद्गल परमाणुओं का परस्पर में बन्ध होता है।

     

    English - Combination of elementary particles of matter takes place by virtue of greasy (sticky) and dry (roughy) properties associated with them.

     

    विशेषार्थ - पुद्गलों में स्नेह और रूक्ष गुण पाये जाते हैं। किन्हीं परमाणुओं में रूक्ष गुण होता है और किन्हीं परमाणुओं में स्नेह गुण होता है। स्नेह गुण के अविभागी प्रतिच्छेद बहुत से होते हैं। इसी तरह रूक्ष गुण के अविभागी प्रतिच्छेद भी बहुत से होते हैं। शक्ति के सबसे जघन्य अंश को अविभागी प्रतिच्छेद कहते हैं। एक-एक परमाणु में अनन्त अविभागी प्रतिच्छेद होते हैं और वे घटते बढ़ते रहते हैं। किसी समय अनन्त अविभागी प्रतिच्छेद से घटते घटते असंख्यात अथवा संख्यात अथवा और भी कम अविभागी प्रतिच्छेद रह जाते हैं। और कभी बढ़कर संख्यात, असंख्यात अथवा अनन्त अविभागी प्रतिच्छेद हो जाते हैं। इस तरह परमाणुओं में स्निग्धता और रूक्षता हीन या अधिक पायी जाती है, जिसका अनुमान हम स्कन्धों को देखकर कर सकते हैं। जैसे, जल से बकरी के दूध, घी में; बकरी के दूध, घी से गौ के दूध, घी में; गौ के दूध, घी से भैंस के दूध, घी में और भैंस के दूध, घी से ऊँटनी के दूध, घी में चिकनाई अधिक पायी जाती है। इसी तरह धूल से रेत में और रेत से बजरी में रूखापन अधिक पाया जाता है। वैसे ही परमाणुओं में भी चिकनाई और रूखाई कमती बढ़ती होती है। वही पुद्गलों के बन्ध में कारण है।


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