अब जीवकृत उपकार बतलाते हैं-
परस्परोपग्रहो जीवानाम् ॥२१॥
अर्थ - आपस में एक दूसरे की सहायता करना जीवों का उपकार है। जैसे स्वामी धन वगैरह के द्वारा अपने सेवक का उपकार करता है और सेवक हित की बात कह कर और अहित से बचा कर स्वामी का उपकार करता है। इसी तरह गुरु उचित उपदेश देकर शिष्य का उपकार करता है। और शिष्य गुरु की आज्ञा के अनुसार आचरण करके गुरु का उपकार करता है।
English - The function of souls is to help one another.
उपकार का प्रकरण होते हुए भी इस सूत्र में जो उपग्रह पद दिया है। वह यह बतलाने के लिए दिया है कि पहले सूत्र में बतलाये गये सुख दु:ख आदि भी जीवकृत उपकार हैं। अर्थात् एक जीव दूसरे जीव को सुख दुःख भी देता है और जीवन मरण में भी सहायक होता है।