तीन निकायों का वर्णन करके अब चौथी निकाय का वर्णन करते हैं-
वैमानिकाः ॥१६॥
अर्थ - जिसमें रहने वाले जीव विशेष रूप से पुण्यशाली माने जाते हैं, उन्हें विमान कहते हैं और विमानों में जो देव उत्पन्न होते हैं, उन्हें वैमानिक कहते हैं।
English - The Heavenly Beings (Vaimanikah) are the fourth class of celestial beings.
विशेषार्थ - यह सूत्र अधिकार सूचक है। यह बतलाता है कि आगे वैमानिक देवों का वर्णन किया जायेगा। विमान तीन प्रकार के होते हैं इन्द्रक, श्रेणीबद्ध और पुष्प प्रकीर्णक। जो विमान इन्द्र की तरह अन्य विमानों के बीच में रहता है, उसे इन्द्रक विमान कहते हैं। उसकी चारों दिशाओं में कतारबद्ध जो विमान होते हैं, वे श्रेणीबद्ध कहे जाते हैं और विदिशाओं में जहाँ तहाँ बिखरे फूलों की तरह जो विमान होते हैं, उन्हें पुष्प प्रकीर्णक विमान कहते हैं।