परस्परोदीरित-दु:खाः॥४॥
अर्थ - इसके सिवा नारकी जीव आपस में ही एक-दूसरे को दुःख देते हैं।
English - They cause pain and suffering to one another.
विशेषार्थ - जैसे यहाँ कुत्तों में जातिगत वैमनस्य देखा जाता है, वैसे ही नारकी जीव भी कुअवधि ज्ञान के द्वारा दूर से ही नारकियों को देखकर और उनको अपने दुःख का कारण जानकर दुःखी होते हैं। फिर निकट आने पर परस्पर एक-दूसरे को देखने से उनका क्रोध भड़क उठता है। और अपनी विक्रिया के द्वारा बनाये गये अस्त्र-शस्त्रों से आपस में मार काट करने लगते हैं। इस तरह एक-दूसरे के टुकड़े-टुकड़े कर डालने पर भी उनका मरण अकाल में नहीं होता।