अब बतलाते हैं कि भरत आदि क्षेत्रों की रचना आधे ही पुष्कर द्वीप में क्यों है? समस्त पुष्कर द्वीप में क्यों नहीं है ?
प्राङ्मानुषोत्तरान्मनुष्याः ॥३५॥
अर्थ - मानुषोत्तर पर्वत से पहले ही मनुष्य पाये जाते हैं अर्थात् जम्बूद्वीप, धातकी खण्ड और आधे पुष्कर द्वीप पर्यन्त ही मनुष्यों का आवास है। इन अढाई द्वीपों से बाहर कोई भी ऋद्धिधारी या विद्याधर मनुष्य तक नहीं जा सकता। इसी से मानुषोत्तर पर्वत के बाहर के द्वीपों में क्षेत्र वगैरह की रचना भी नहीं पायी जाती है।
English - There are human beings up to Manushottara as human beings can not go beyond this mountain.