यदि आगे आगे के शरीर सूक्ष्म हैं, तो उनके बनने में पुद्गल के परमाणु भी कम कम लगते होंगे ? इस आशंका को दूर करने के लिए आगे का सूत्र कहते हैं-
प्रदेशतोऽसंख्येयगुणं प्राक्तैजसात् ॥३८॥
अर्थ - यहाँ प्रदेश शब्द का अर्थ परमाणु है। परमाणुओं की अपेक्षा से, तैजस से पहले के शरीर असंख्यात गुने, असंख्यात गुने हैं।
English - Prior to the luminous body, each has innumerable times the number of space-points of the previous one.
अर्थात् औदारिक शरीर में जितने परमाणु हैं, उनसे असंख्यात गुने परमाणु वैक्रियिक शरीर में हैं। और वैक्रियिक शरीर से असंख्यात गुने परमाणु आहारक शरीर में होते हैं।
शंका - यदि आगे आगे के शरीर में असंख्यात गुने, असंख्यात गुने, परमाणु होते हैं तो आगे आगे के शरीर तो औदारिक से भी स्थूल होने चाहिए। फिर आगे आगे के शरीर सूक्ष्म होते हैं, ऐसा क्यों कहा ?
समाधान - असंख्यात गुने, असंख्यात गुने, परमाणुओं से बने होने पर भी आगे के शरीर स्थूल नहीं हैं। बल्कि बन्धन के ठोस होने से उत्तरोत्तर सूक्ष्म हैं। जैसे - रुई का ढेर और लोहे का पिण्ड।