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नव आचार्य श्री समय सागर जी को करें भावंजली अर्पित ×
मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज
  • अध्याय 2 : सूत्र 36

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    Vidyasagar.Guru

    अब शरीरों का वर्णन करते हैं-

     

    औदारिक-वैक्रियिकाहारक-तैजस-कार्मणानि शरीराणि ॥३६॥

     

     

    अर्थ - औदारिक, वैक्रियिक, आहारक, तैजस और कार्मण ये पाँच शरीर हैं।

     

    English - The ornamental or physical, the transformable, the projectable, the luminous (electric) and the karmic are the five types of bodies.

     

    स्थूल शरीर को औदारिक कहते हैं। जो एक, अनेक, सूक्ष्म, स्थूल, हल्का, भारी आदि किया जा सके, उसे वैक्रियिक शरीर कहते हैं। छठे गुणस्थानवर्ती मुनि के द्वारा सूक्ष्म पदार्थ को जानने के लिए, अथवा संयम की रक्षा के लिए, अन्य क्षेत्र में वर्तमान केवली या श्रुत-केवली के पास भेजने को अथवा अन्य क्षेत्र के जिनालयों की वन्दना करने के उद्देश्य से जो शरीर रचा जाता है, उसे आहारक शरीर कहते हैं। औदारिक आदि शरीरों को कांति देनेवाला शरीर तैजस कहलाता है। और ज्ञानावरण आदि आठों कर्मों के समूह को कार्मण शरीर कहते हैं।


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