अब प्रश्न यह है कि पौद्गलिक द्रव्य कर्मों के नाश से ही मोक्ष होता है या भाव कर्मों के नाश से भी? इसका उत्तर देते हैं-
औपशमिकादि-भव्यत्वानां च॥३॥
अर्थ - जीव के औपशमिक आदि भाव तथा पारिणामिक भावों में से भव्यत्व भाव के अभाव से मोक्ष होता है। आशय यह है कि औपशमिक भाव, क्षायोपशमिक भाव, औदयिक भाव तो पूरे नष्ट हो जाते हैं और पारिणामिक भावों में से अभव्यत्व भाव तो मोक्षगामी जीव के पहले से ही नहीं होता, जीवत्व नाम का पारिणामिक भाव मुक्तावस्था में भी रहता है। अतः केवल भव्यत्व का अभाव हो जाता है।
English - Emancipation is attained on the destruction of psychic factors also like quietism and potentiality.