अब अन्तिम तत्त्व मोक्ष का कथन किया जाता है क्योंकि मोक्ष की प्राप्ति केवलज्ञान पूर्वक होती है, अत: पहले केवलज्ञान की उत्पत्ति का कारण बतलाते है-
मोहक्षयाज्ज्ञान-दर्शनावरणान्तराय-क्षयाच्च केवलम् ॥१॥
अर्थ - मोहनीय कर्म के क्षय से फिर ज्ञानावरण, दर्शनावरण और अन्तराय कर्म का एक साथ क्षय होने से केवलज्ञान प्रकट होता है। सारांश यह है कि पहले मोहनीय कर्म का क्षय करके अन्तर्मुहूर्त तक क्षीणकषाय नाम के गुणस्थान में जीव रहता है। फिर उसके अन्त में ज्ञानावरण, दर्शनावरण और अन्तराय कर्म को एक साथ नष्ट करके केवलज्ञान को प्राप्त कर लेता है। इसी से ‘मोहक्षयात्’ पद अलग लिखा है।
English - Omniscience (perfect knowledge) is attained on the destruction of deluding karmas, and on the destruction of knowledge and perception-covering karmas and obstructive karmas.