जीव आदि को जानने के और भी उपाय बतलाते हैं-
सत्संख्या-क्षेत्र-स्पर्शन-कालान्तर-भावाल्पबहुत्वैश्च॥८॥
अर्थ - सत्, संख्या, क्षेत्र, स्पर्शन, काल, अन्तर, भाव और अल्पबहुत्व, इन आठ अनुयोगों के द्वारा भी जीव आदि पदार्थों का ज्ञान होता है।
English - (The seven categories are known) also by existence, number (enumeration), place or abode, extent of space (pervasion), time, interval of time, thought-activity, and reciprocal comparison.
सत् का अर्थ अस्तित्व या मौजूदगी है। भेदों की गिनती को संख्या कहते हैं। वर्तमान निवास को क्षेत्र कहते हैं। तीनों कालों में विचरने के क्षेत्र को स्पर्शन कहते हैं। काल का अर्थ सभी जानते हैं। विरहकाल को अन्तर कहते हैं। अर्थात् एक दशा से दूसरी दशा को प्राप्त करके फिर उसी पहली दशा में आ जाने पर दोनों के बीच में जितना काल रहता है, वह विरहकाल कहलाता है। इसी को अन्तर कहते हैं। औपशमिक आदि को भाव कहते हैं। एक दूसरे की अपेक्षा तुलना करके एक को कम दूसरे को अधिक बतलाना अल्पबहुत्व है। इन आठों के द्वारा भी सम्यग्दर्शन आदि तथा जीव आदि का ज्ञान होता है।