आगे बतलाते हैं कि ये बहु, बहुविध आदि किसके विशेषण हैं-
अर्थस्य॥१७॥
अर्थ - ये बहु, बहुविध आदि पदार्थ के विशेषण हैं।
English - (These are attributes) of substance (objects).
अर्थात् बहु यानि बहुत से पदार्थ, बहुविध यानि बहुत तरह के पदार्थ । इस तरह बारहों भेद पदार्थ के विशेषण हैं ?
शंका - इसके कहने की क्या आवश्यकता है ? क्योंकि बहु, बहुविध तो पदार्थ ही हो सकता है, अन्य नहीं हो सकता, उसी के अवग्रह, ईहा आदि ज्ञान होते हैं।
समाधान - आपकी शंका ठीक है; किन्तु मतावलम्बियों के मत का निराकरण करने के लिए ‘अर्थस्य सूत्र कहना पड़ा है। कुछ मतावलम्बी ऐसा मानते हैं कि इन्द्रियों का सम्बन्ध पदार्थ के साथ नहीं होता, किन्तु पदार्थ में रहने वाले रूप, रस आदि गुणों के साथ ही होता है। अतः इन्द्रियाँ गुणों को ही ग्रहण करती हैं, पदार्थ को नहीं। किन्तु ऐसा मानना ठीक नहीं है; क्योंकि वे लोग गुणों को अमूर्तिक मानते हैं और इन्द्रियों के साथ अमूर्तिक का सन्निकर्ष नहीं हो सकता।
शंका - तो फिर लोक में ऐसा क्यों हो जाता है - मैंने रूप देखा, मैंने गंध सूँघी ?
समाधान - इसका कारण यह है कि इन्द्रियों के साथ तो पदार्थ का ही सम्बन्ध होता है, किन्तु चूंकि रूप आदि गुण पदार्थ में ही रहते हैं, अतः ऐसा कह दिया जाता है। वास्तव में तो इन्द्रियाँ पदार्थ को ही जानती हैं।