अब मतिज्ञान के भेद कहते हैं-
अवग्रहेहावायधारणाः॥१५॥
अर्थ - अवग्रह, ईहा, अवाय और धारणा - ये चार मतिज्ञान के भेद हैं।
English - (The four divisions of sensory knowledge are) apprehension (sensation), speculation, perceptual judgment, and retention.
इन्द्रिय और पदार्थ का सम्बन्ध होते ही जो सामान्य ग्रहण होता है, उसे दर्शन कहते हैं, दर्शन के अनन्तर ही जो पदार्थ का ग्रहण होता है, वह अवग्रह है। जैसे चक्षु से सफेद रूप को जानना अवग्रह है। अवग्रह से जाने हुए पदार्थ में विशेष जानने की इच्छा का होना ईहा है। जैसे यह सफेद रूप वाली वस्तु क्या है? यह तो बगुलों की पंक्ति सी प्रतीत होती है, यह ईहा है। विशेष चिह्नों के द्वारा यथार्थ वस्तु का निर्णय कर लेना अवाय है! जैसे पंखों के हिलने से तथा ऊपर नीचे होने से यह निर्णय कर लेना कि यह बगुलों की पंक्ति ही है, यह अवाय है। अवाय से जानी हुई वस्तु को कालान्तर में भी नहीं भूलना धारणा है।