मानव का पतन बुरी आदतों से होता है एवं उत्थान अच्छी आदतों से होता है । इस अध्याय में मानव पतन की सात बुराईयाँ जिन्हें सप्त व्यसन के नाम से जाना जाता है। उसका इस अध्याय में वर्णन है ।
1. व्यसन किसे कहते हैं एवं कितने होते हैं?
बुरी आदतों को अथवा दुःख, पतन, विनाश आदि की उत्पत्ति में कारणभूत कार्यों को व्यसन कहते हैं । व्यसन सेवन करने वाले व्यसनी कहलाते हैं ।
कोई भी व्यक्ति जन्म से ही व्यसनी नहीं होता किन्तु बुरी आदत, बुरी सङ्गति, गरीबी, धन की चाह, शौक तथा जिज्ञासा की आखिर यह क्या है देखें आदि कारणों से व्यसनों को अङ्गीकार कर लेता है । प्रारम्भ में वे समाज परिवार और मित्रों से छुपकर व्यसन करते हैं, बाद में लज्जा छोड़कर बदनामी को सहन करता हुआ भी व्यसन करता रहता है तथा उसकी आदत पड़ जाने पर वह चाहकर भी उसे छोड़ने में असमर्थ हो जाता है ।
व्यसनों के कारण पूरा परिवार माता-पिता, भाई-बहिन, मित्र तथा अन्य सम्बन्धी सभी दुःखी एवं लज्जित रहते हैं क्योंकि वह कुल की मर्यादा को भङ्गकर कुल को कलंकित करता है ।
व्यसन सात प्रकार के होते हैं-
- जुआ खेलना
- माँस खाना
- मदिरा पान करना
- वेश्या गमन करना
- शिकार खेलना
- चोरी करना
- परस्त्री सेवन करना ।
2. जुआ व्यसन किसे कहते हैं ?
बिना परिश्रम किए थोड़ा धन लगाकर अधिक धन कमाने की इच्छा रखते हुए तासपत्ती, लाटरी, वायदा व्यापार (शेयर का सट्टा) करने में, किक्रेट के खेल में शर्त लगाना आदि में पैसा लगाना जुआ व्यसन है ।
जुआ व्यसन समस्त अनर्थों का कारण है, सन्तोष का नाश करने वाला, मायाचार का, चोरी का तथा झूठ का स्थान है। जुआ खेलने वाले जुआरी कहलाते हैं। जुआरी लोगों का प्रत्येक जगह अपमान होता है। सभी लोग उनकी निन्दा करते हैं और राज्य उन्हें दण्ड देता है। जुआ खेलने वाले को अन्य समस्त व्यसनों में जबरदस्ती फँसना पड़ता है।
जीवन में मात्र एक बार जुआ खेलने से धर्मराज ( युधिष्ठिर) को अपने भाइयों के साथ बारह वर्ष के लिए वनवास के दुर्दिन देखने पड़े व द्रौपदी का चीर हरण होते-होते बचा।
अतः जुआ कभी नहीं खेलना चाहिए न किसी को खेलने के लिए प्रेरित करना चाहिए और न खेलने वालों का समर्थन करना चाहिए ।
विशेष -
- जुआरी का कोई गुरु नहीं होता है।
- पबजी खेलना भी जुआ है ।
3. जुआ व्यसन त्याग के अतिचार बताइए?
मनोविनोद के लिए शर्त लगाकर दौड़ना, जुआ खेलते लोगों को देखना आदि हैं ।
4. जुआ व्यसन त्यागी को और क्या-क्या त्याग कर देना चाहिए?
जुआ व्यसन की बहिन रसादिकों के सिद्ध करने की तत्परता को भी दूर करे। (सा.ध.,3/18)
विशेष - जुआ व्यसन की बहिन रसादिसिद्धपरता को भी छोड़ देवे। क्योंकि इन कामों में भी मन की वृत्ति व्यसन के समान श्रेयोमार्ग से विमुख करती है । ऐसा करने से सुवर्ण बनाया जा सकता है और बड़ा धनीपना प्राप्त हो सकता है। ऐसा अञ्जन भी बनाया जा सकता है जिससे जमीन में गड़ा हुआ धन नेत्रों से दिखने लगे तो बड़ा काम हो जाए। मन्त्रादिक से ऐसी खड़ाऊँ सिद्ध करना कि जिनके योग से चाहे जहाँ अदृश्य होकर जाना हो सकता है। ऐसे कार्यों में दिन-रात लगा रहना तथा सब धर्म कार्य छोड़ देना उपव्यसन में गिना जाता है ।
5. माँस खाना व्यसन किसे कहते हैं ?
माँस की उत्पत्ति सप्त धातु से निर्मित अपवित्र शरीर के घात से होती है जिन्दा या मृत जीवों के शरीर या शरीर के किसी भी अङ्ग का भक्षण करना माँस खाना व्यसन कहलाता है माँस कच्चा हो या पका उसमें अनन्त निगोदिया तथा असंख्यात जीवों की निरन्तर उत्पत्ति होती रहती है। जैसे- मछली खाना, अण्डा खाना, उससे बनी वस्तुओं का सेवन करना, पेस्ट्री खाना, वर्तमान में जिन खाद्य वस्तुओं एवं दवाओं में जो लाल रङ्ग का चिह्न आता है वह सब माँस के अन्तर्गत आता है जिन खाद्य वस्तुओं में हरा चिह्न रहता है वह शुद्ध शाकाहारी ही है ऐसा नियम नहीं है उनमें बहुत सी सामग्री का सम्बन्ध माँसाहार से भी है। इसकी जानकारी के लिए इण्टरनेट साइट www.veggieglobal.com/ पर कौन-कौन से अन्तर्घटक तत्त्व माँसाहारी है कि सूची दी गई है ।
6. कुछ महान् व्यक्तियों के नाम बताइए जिन्होंने अपने जीवन में माँस का सेवन नहीं किया?
श्रीराम, लक्ष्मण और सीता जी चौदह वर्ष वनवास में रहे पाण्डव भी बारह वर्ष वनवास में रहे फिर भी उन्होंने कभी माँस का सेवन नहीं किया। महात्मा गाँधी के सहयोग से अपना भारत देश स्वतन्त्र हुआ उन्होंने भी माँस का सेवन नहीं किया। महाराणा प्रताप ने जङ्गल में भी घास की रोटियाँ खायीं हैं । पूर्व राष्ट्रपति श्री अब्दुल कलाम जो कि मुस्लिम जाति होने के बाद भी माँस का सेवन नहीं करते थे । अत: मानवीय आहार शाकाहार है, उसे ही करना चाहिए ।
7. भारत के शाकाहारी सितारों के नाम बताइए?
- मल्लिकाशेराव- आप जानते हैं कि ये मशहूर हस्ति शाकाहारी है? जी हाँ उन्होंने यह दयापूर्ण मार्ग जान बूझ कर इसलिए चुना है कि उनका यह कदम प्राणियों और पर्यावरण के लिए सहायक होगा ।
- विद्याबालन - शाकाहार को चुनना एक छोटा-सा फैसला लग सकता है किन्तु हमारी दुनिया पर इसका विशाल प्रभाव पड़ता है ।
- विद्युतजम्वाल - मुझे शाकाहारी भोजन पसन्द है और मैंने यह महसूस किया है कि शाकाहार अधिक स्वास्थ्यकर है क्योंकि यह आसानी से पच जाता है, आपको मानसिक रूप से तन्दुरुस्त रखता है और यह सौ प्रतिशत हल्का होता है ।
- धनुष- शाकाहारी होने से मैं खुद को हमेशा स्वस्थ महसूस किया है। जब भी मैं भोजन के लिए बैठता हूँ, पर्यावरण की मदद करता हूँ ।
- आर. माधवन - मेरे लिए शाकाहारी होना दयालु होना है। मैं पशुओं से प्रेम करता हूँ, तो मैं उन्हें नहीं खाऊँगा ।
- शाहिदकपूर - मैं मुर्गियों, सुअर, गाय, मछली और तमाम जानवरों से प्यार करता हूँ । इसीलिए मैं शाकाहरी बन गया ।
- हेमामालिनी - शाकाहारी होना अच्छे स्वास्थ्य के लिए सर्वोत्तम उपाय है ।
8. ऐसा क्या विचार करें जिससे किसी के माँस सेवन के भाव ही न हो ?
आपका बेटा स्कूल पढ़ने के लिये गया हो और स्कूल छूटने का समय सायंकाल 5 बजे का हो तथा आपका बेटा सायंकाल 5:15 तक घर आ जाता है यदि आपका बेटा सायंकाल 6:00 बजे तक घर न आया हो तो बताइए आपके मन में कैसे-कैसे विचार उत्पन्न होते हैं? कहीं किसी ने मेरे बेटे को मारा तो नहीं या किसी ने मेरे बेटे का अपहरण तो नहीं कर लिया आदि अनेक प्रकार के मन में विचार उत्पन्न होते रहते हैं जब आपको अपने बेटे के प्रति ऐसे भाव आते हैं। तब विचार कीजिए वे पशु-पक्षी भी किसी के बेटे हैं यदि आप उनको मारकर खा जाते हो तो उनके माता-पिता को कैसा लगता होगा ।
आपके पैर में काँटा लग गया तब आपको कितनी वेदना होती है । फिर आप किसी पशु-पक्षी को काँटे से नहीं चाकू आदि से मारकर खाते हैं तो उन्हें कितनी वेदना होती होगी विचार कीजिए ।
9. माँस सेवन त्याग के अतिचार बताइए ?
चमड़े में रखा हुआ जल, घी, तेल, हींग, स्वादचलित सम्पूर्ण भोजन आदि का उपयोग करना माँस त्यागव्रत में अतिचार होता है। (सा.ध., 3/12)
10. जिस प्रकार एकेन्द्रिय जीव का शरीर होने पर भी वनस्पति आदि का सेवन करते उसी प्रकार पञ्चेन्द्रिय जीव का शरीर सेवन के योग्य क्यों नहीं ?
एकेन्द्रिय जीव अवश्य ही है किन्तु एकेन्द्रिय में माँस की संज्ञा नहीं है अत: पृथ्वी, जल, वनस्पति आदि सेवन के योग्य हैं किन्तु द्वीन्द्रिय, त्रीन्द्रिय, चतुरिन्द्रिय एवं पञ्चेन्द्रिय जीवों के शरीर में माँस रहता है इस कारण एकेन्द्रिय जीव का शरीर तो सेवन के योग्य है किन्तु द्वीन्द्रिय से पञ्चेन्द्रिय तक के जीवों के शरीर सेवन के योग्य नहीं है।
11. दूध शाकाहार है या नहीं ?
दूध शाकाहार है।
12. शाकाहारी प्राणियों का दुग्ध शाकाहारी है इसके सम्बन्ध में कुछ सशक्त तर्क दीजिए?
- दूध को गोरस कहने से स्पष्ट होता है कि वह रस रूप पर्याय है । किन्तु माँस को गोरस नहीं कहा है।
- दूध निकालने से गाय क्षीण नहीं होती किन्तु रक्त के निकलने से उस जीव में क्षीणता आती है, वेदना की वृद्धि होती है ।
- गायादि के शरीर में स्थित दुग्ध का रक्त, माँस, चर्बी आदि से बिलकुल भी सम्बन्ध नहीं है ।
- गायादि पशुओं का पूरा दुग्ध उसके बच्चे नहीं पी सकते और जबरदस्ती करके पिलाया भी जाए तो बीमार हो जाता है
- अगर गाय आदि प्राणियों का दुग्ध न निकाला जाए तो उसके अन्दर स्थित वह दुग्ध उनको कष्ट देता है।
- अगर किसी माता को दूध की कमी हो तो उसे अलग औषधि दी जाती है एवं किसी महिला को खून की कमी हो तो उसे अलग औषधि दी जाती है। इससे भी सिद्ध है दोनों एक नहीं हैं।
- जन्म से बिछुड़ा भामण्डल जब युवा होने पर अपनी माता से मिला तो माता के स्तनों में दूध झरने लगा। दूध वात्सल्य का प्रतीक है । उस माता के शरीर से खून नहीं निकला। खून निकलना कष्ट का प्रतीक है।
- खून की ड्रिप दी जाती है, दूध की नहीं। अगर दे देंगे तो स्वास्थ्य और खराब हो जाएगा ।
- दूध मुँह से पिया जाता है, खून मुँह से नहीं पिया जाता है ।
13. शाकाहारी एवं माँसाहारी प्राणी में शरीरादि की अपेक्षा कुछ अन्तर बताइए?
- माँसाहारी प्राणियों की दाढ़ नहीं होती इसीलिए वे भोजन चबाते नहीं हैं चीर फाड़कर बिना चबाए ही खा जाते है। शाकाहारी प्राणी दाढ़ों से चबाकर खाते हैं ।
- माँसाहारी प्राणी के दाँत नुकीले होते है शाकाहारी प्राणी के दाँत चौकोर जैसे होते हैं ।
- माँसाहारी प्राणी में नाखून लम्बे एवं नुकीले होते हैं । शाकाहारी प्राणी के नाखून छोटे एवं चौकोर होते हैं ।
- माँसाहारी प्राणी जिह्वा के द्वारा पानी पीते हैं । शाकाहारी प्राणी ओष्ठों के द्वारा पानी पीते हैं ।
- माँसाहारी प्राणी क्रूर परिणाम वाला होता है, शाकाहारी प्राणी स्वभाव से ही शान्त परिणामी होते हैं।
14. अण्डा शाकाहार है या माँसाहार ?
अण्डा माँसाहार है अण्डे के दो भेद हैं- एक जिसमें रज वीर्य से मिला इससे चूजा निकलता है । इस अण्डे को मुर्गी सेती है। दूसरा जो रोज देती इसमें चूजों का जन्म नहीं होता है । किन्तु दोनों माँसाहार हैं ।
15. मनुष्यों का आहार क्या है ?
मनुष्यों का आहार शाकाहार है ।
16. शाकाहारी पशुओं के नाम बताइए?
गाय, बैल, साण्ड, भैंस, भैंसा, बन्दर, ऊँट, घोड़ा, हाथी, बकरी, खरगोश, जेब्रा ।
17. माँसाहारी पशुओं के नाम बताइए?
सिंह, चीता, कुत्ता, बिल्ली, सर्प, सियार ।
18. शाकाहार करने से होने वाले लाभ बताइए ?
- शरीर में अनेक रोगों की उत्पत्ति नहीं होती ।
- परिणाम शान्त रहते हैं ।
- अभिषेक पूजन कर सकते आहार दान दे सकते हैं।
- मुख से दुर्गन्ध नहीं आती।
- शरीर बलशाली बनता है ।
19. माँसाहार करने से होने वाली हानियाँ बताइए ?
माँस भक्षण करने वालों को नरकों में अन्य नारकी उनके शरीर के माँस को काटकर उन्हीं के मुखों में डालते हैं ।
20. क्या किसी ने कभी सिंह को भी शाकाहारी बनाया था ?
हाँ। जयपुर नगर के राजतन्त्र काल में ' अमरचन्द ' जैन (दीवान) ने एक सिंह को जलेबी खिलाकर उसे शाकाहारी बनाया था।
21. ऐसे मुख्यमन्त्री का नाम बताइए जिसने विदेशी मेहमान को भी शाकाहारी भोजन कराया ?
मध्यभारत के प्रथम मुख्यमन्त्री मिश्रीलाल गंगवाल भारत के प्रथम प्रधानमन्त्री पण्डित जवाहरलाल नेहरु का मिश्रीलाल गंगवाल (मध्यभारत का मुख्य मन्त्री ईस्वी सन् 1951-1952) को पत्र आया कि युगोस्लाविया के राष्ट्रपति मार्शल टीटो मध्यभारत के कुछ स्थान देखने आ रहे है । उनके भोजन में माँसाहार भी सम्मिलित है। गंगवाल ने निडर होकर प्रधानमन्त्री से निवेदन किया कि मैं राजकीय अतिथि को शुद्धजल व शाकाहारी भोजन ही उपलब्ध करा सकूंगा ।और उन्होंने उन्हें शाकाहारी भोजन ही कराया।
22. ऐसे कुछ सरकारी संस्थाएँ बताइए जहाँ शाकाहारी भोजन ही कराया जाता है?
जेलों एवं सभी छात्रावासों में शाकाहारी भोजन कराया जाता है। इससे सिद्ध होता है कि भारतीयों का आहार शाकाहार है ।
23. मदिरापान व्यसन किसे कहते हैं?
वे सभी पदार्थ जिनके सेवन से व्यक्ति होश, विवेक बुद्धि खो बैठता है, जिससे नशा उत्पन्न हो, इन्द्रियाँ सुप्त हो जावें मदिरापान व्यसन के अन्तर्गत आते हैं।
विश्व में बढ़ रही दुर्घटनाएँ, हत्याएँ या अन्य क्रूरतम घटनाओं का कारण मादक पदार्थों का सेवन करना है। शराबी शराब पीने के बाद कहीं भी गिर पड़ता है। उसे होश नहीं रहता । कुत्ता 'उसके मुख को चाटते- चाटते पेशाब भी कर देता तो वह कहता क्या मीठा-मीठा शरबत है और आने दो । मदिरा पान करने वाला अपनी स्त्री से कहता है कि तू मेरी माँ है मुझे अपनों स्तनों का दूध पिलाकर पालो क्योंकि उसे होश नहीं वह माता को पत्नी भी कहने लगता है ।
24. मदिरापान त्याग के अतिचार बताइए?
- मर्यादा के बाहर का अचार, मुरब्बा का सेवन करना ।
- मर्यादा के बाहर का दही व छाछ तथा जिस पर फूल से आ गए हो ऐसी काँजी (मट्ठा, दही या फटे हुए दूध का पानी) (सा.ध., : ,3/1)
- मदिरा आदि अपवित्र पदार्थों के स्पर्श वाले बर्तनों में रखा हुआ भोजन करना ।
- शराब की दुकान पर बैठकर काली बोतल में दूध पीना ।
- रात्रि में पान लगाकर रख दिया उसे सुबह खाना । (यह मेरा चिन्तन है)
25. मदिरापान से होने वाली हानियाँ बताइए?
- यहाँ मदिरापान सेवन करने वालों को नरकों में अन्य नारकी जीव सण्डासी से मुख फाड़कर बलपूर्वक उसमें उबलता हुआ ताम्ररस डाल देते हैं ।
- एक बार शराब पीने से 25 मिनट आयु घट जाती है ।
- अनेक प्रकार की बीमारियाँ होती हैं।
- आपके धन का दुरुपयोग होता है ।
- आपको,आपकी पत्नी को एवं बच्चों को समाज के व्यक्ति हीन दृष्टि से देखते हैं ।
- शराबी की बेटी को ससुराल में खरी-खोटी बातें सुनना पड़ती है।
विशेष- वीयर आदि भी शराब हैं ।
26. शिकार खेलना व्यसन किसे कहते हैं ?
मनोरंजन के लिए तीरकमान, तलवार, छुरी, भाले, अस्त्र-शस्त्र से प्राणियों को मारना, छेदन - भेदन करना शिकार खेलना व्यसन कहलाता है ।
विशेष- आज समयाभाव के एवं वन विभाग की सक्रियता के कारण शिकार खेलना कम हो गया है किन्तु आज उच्चकुलीन घरों में भी एक बड़ा शिकार किया जाता है वह है गर्भपात ।
धवला ग्रन्थ में कहा है कि पर्याप्त मनुष्यों की संख्या 29 अङ्क प्रमाण है जिनमें 25 प्रतिशत पुरुष एवं 75 प्रतिशत महिला वर्ग होता है। किन्तु आज पुरुषों से कम महिला वर्ग है। यहाँ विज्ञान अभिशाप सिद्ध हो गया। गर्भस्थ शिशु का परीक्षण हो जाता है यदि बेटी हो तो उसका गर्भपात करा देते हैं। यह तो मानवधर्म भी नहीं है। क्योंकि गर्भ में वह जीव बिना बुलाए नहीं आया है । वह आपका अतिथि है । और उस पर शस्त्र चलवाना महापाप है। युद्धों में भी बालक, निःशस्त्र व्यक्ति पर अस्त्र-शस्त्र नहीं चलाए जाते हैं । यह शिकार व्यसन क्या, महाशिकार व्यसन है । इससे बचो अन्यथा कालान्तर में सन्तान हीन रहोगे ।
27. शिकार खेलना व्यसन त्याग के अतिचार बताइए ?
वीडियो गेम में चिड़िया, शेर आदि मारना । वस्त्र, सिक्का, काष्ठ, पाषाण, चटाई, कागज आदि में बने चित्रों का छेदन-भेदन करना ।
28. शिकार व्यसन से होने वाली हानियाँ बताइए?
जो पशु-पक्षियों का शिकार करके उन्हें अपने परिवार से पृथक् कर देते हैं तो वह कर्म ऐसा फल देता है कि जिससे कोई विधवा होती, कोई विधुर होता, कोई सन्तान से हीन होता है । शिकार खेलने वालों को संसारी जन बुरी दृष्टि से देखते हैं एवं उनको जेल आदि दुःखों को भी सहन करना पड़ता है।
शिकार खेलने वाला मनुष्य भव-भव में अल्पायु का धारी, विकलाङ्ग, रोगी, अन्धा, बहिरा, दुष्ट, बौना, कोढ़ी और नपुंसक होता है। (अ. श्री., 12/98)
29. चोरी करना व्यसन किसे कहते हैं?
किसी की रखी हुई, गिरी हुई, भूली हुई अथवा नहीं दी हुई वस्तु को लेना या लेकर के दूसरों को देना चोरी व्यसन है । कुछ गरीबी के कारण, कुछ धनवान बनने के लिए कुछ कोई धनवान न रहे गरीब हो जाए और कुछ आदत पड़ जाने के कारण चोरी करते हैं । जैसे- अञ्जन चोर करता था ।
30. चोरी व्यसन के त्याग अतिचार बताइए ?
अपने कुटुम्ब में भाई, चाचा आदि जो लोग हैं उनसे राज्यादि के बल से धन को न छीने और न धन को छिपावे। (सा.ध.,3/21)
31. चोरी व्यसन से होने वाली हानियाँ बताइए ?
चोर जब पकड़ा जाता है तो अनेकप्रकार के दण्ड भोगने पड़ते है और कभी किसी को फाँसी भी हो जाती है एवं परलोक में नरक आदि के दुःखों को सहन करना पड़ता है ।
32. परस्त्री सेवन व्यसन किसे कहते हैं?
स्वयं की स्त्री अर्थात् जिसके साथ धर्मानुकूल विवाह किया है, उसको छोड़कर अन्य स्त्री के साथ विषय सेवन करना परस्त्री सेवन व्यसन है ।
33. परस्त्री सेवन व्यसन त्याग के अतिचार बताइए ?
बालिकाओं के लिए दूषण लगाना एवं गन्धर्व विवाह (प्रेम विवाह) करना । (सा.ध., 3/23)
परस्त्री से एकान्त में बोलना, हँसी मजाक करना, तिरछी नजर से देखना, शील भेदक सम्भाषण करना, परिचय प्राप्त करना आदि। इन कारणों को करने से वृद्ध पुरुष भी दोष को प्राप्त होता है, तब फिर जवान पुरुष क्यों नहीं दोष को प्राप्त होगा? अवश्य ही होगा ( अ. श्री ., 12/89-90)
विशेष- कुछ लोग कहते है परस्त्री सेवन का त्याग हैं। क्या पर बालिका का सेवन कर सकते नहीं । यहाँ पर स्त्री से आशय बालिका हो या महिला पर स्त्री ही कहलाती है ।
34. परस्त्री सेवन व्यसन से होने वाली हानियाँ बताइए?
परस्त्री सेवन करने वालों को नरकों में लोहे की गर्म-गर्म पुतलियों से आलिङ्गन करवाया जाता है। यहाँ एड्स जैसी बीमारी इसी कारण से होती है।
विशेष- परस्त्री के सेवन करने पर इस लोक में जो लौकिक दुःख प्राप्त होते हैं, ज्ञानियों ने उन्हें तो उसके फूल कहे हैं और नरकों में दारुण दुःख उसके फल कहे हैं। (अ.श्रा.,12/79)
35. वेश्यागमन व्यसन किसे कहते हैं ?
जो स्त्री धन आदि के लिए सभी की पत्नी बन जाती है उसे वेश्या या नगरनारी कहते हैं । इनके साथ विषय सेवन करना वेश्यागमन व्यसन कहलाता है ।
36. वेश्यागमन व्यसन त्याग के अतिचार बताइए ?
गीत, वाद्य और नृत्य इनमें आसक्ति तथा खोटे पुरुषों की संगति नहीं करनी तथा वेश्याओं के यहाँ जाना । (ध.श्रा.,2/168)
37. वेश्यागमन व्यसन से होने वाली हानियाँ बताइए?
किसी ने कहा है-
1. दर्शनात् हरते चित्तं, स्पर्शात् हरते बलम् ।
भोगात् हरते वीर्यं वेश्या साक्षात् राक्षसी ॥
2. वेश्यागमन करने वाले समाज में, परिवार में हीन दृष्टि से देखें जाते हैं ।
3. धन, शक्ति से रहित हो जाता है ।
4. नरक जाने की तैयारी कर लेता है ।
5. अनेक प्रकार की बीमारियों को निमन्त्रण देता है।
38. सातों व्यसनों में प्रसिद्ध होने वालों के नाम बताइए ?
जुआ के खेलने से युधिष्ठिर महाराज को अपने राज्य में भ्रष्ट होना पड़ा। माँस के खाने से बक नामक राजा को नरक का वास भोगना पड़ा। मदिरा के पीने से यादव लोग नष्ट हुए। शिकार के खेलने से ब्रह्मदत्त समुद्र में डूबकर अनेक प्रकार के दुःखों को भोगने वाला बना । चोरी के करने से शिवभूति ब्राह्मण सर्प होकर अग्नि में गिरा। परस्त्री के दोष से तीन खण्ड का स्वामी रावण मर करके तीसरी पृथ्वी (नरक) में गया। वेश्या सेवन करने से 32 करोड़ दीनार के स्वामी चारुदत्त ने अनेक दुःखों को भोगा।
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