Jump to content
नव आचार्य श्री समय सागर जी को करें भावंजली अर्पित ×
अंतरराष्ट्रीय मूकमाटी प्रश्न प्रतियोगिता 1 से 5 जून 2024 ×
मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज

पथरिया 04/01/2019 *दया-अहिंसा, परोपकार को जन्म देती है, योगियों की योग्यता का मापदंड ही दया -मुनि श्री* सर्वश्रेष्ट साधक आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के आज्ञानुवर्ती शिष्य*  *ज्येष्ठ* *मुनि श्री योग सागर जी*मुनि श्री संभव सागर जी,मुनि श्री पूज्य स


Recommended Posts

पथरिया 04/01/2019 *दया-अहिंसा, परोपकार को जन्म देती है, योगियों की योग्यता का मापदंड ही दया -मुनि श्री* सर्वश्रेष्ट साधक  आचार्य श्री विद्यासागर  जी महाराज के आज्ञानुवर्ती शिष्य* 
*ज्येष्ठ* 
 *मुनि श्री योग सागर जी*मुनि श्री संभव सागर जी,मुनि श्री पूज्य सागर जी,मुनि शैल सागर  जी ,मुनि श्री अनंत सागर जी,मुनि श्री निस्सीम सागर जी,मुनि श्री शाश्वत सागर जी महाराज जी महाराज ससंघ
मुनिश्री योगसागर जी  महाराज ने शुक्रवार की सुबह मंगल प्रवचन दिए। उन्होंने कहा कि विद्याधर की शुद्ध दया ही अहिंसा महाव्रत में परिणत हुई। जिस प्रकार दूध में घी तैरता है वैसे ही भव्य पुरुष के हृदय में दया स्वाभाविक रूप से तैरती हुई नजर आती है। दया, अहिंसा, परोपकार को जन्म देती है। योगियों की योग्यता का मापदंड दया है।
उन्हाेंने कहा बचपन की दया ने विद्याधर को दया का सागर विद्यासागर बना दिया। बचपन में एक बार विद्याधर ने घर के एक कोने में चूहे का एक बड़ा बिल देखा, उसमें नवजात चूहे का बच्चा तड़प रहा था। उसके शरीर पर लाल चीटियां काट रहीं थीं। देखते ही विद्याधर ने शिशु चूहे को अपने हाथों में उठा लिया और एक-एक करके चीटियों को फूंक से उड़ा दिया। वह शिशु चूहा बच गया। उसी समय मां ने देखा और पूछा-क्या कर रहे हो। विद्याधर ने बताया तब मां बोली यह तिर्यंच गति दुख की गति है, इस प्रकार से तिर्यंच जीव संसार में सदा दुःख उठाते हैं। दुखी जीवों पर दया करना अच्छी बात है, किंतु शिक्षा भी लेना चाहिए ऐसी गति में जाने से बचना चाहिए। विद्याधर ने मां को कहा मैं सदा दुखी जीवों को बचाऊंगा और ऐसे कोई कार्य नहीं करूंगा जिससे तिर्यंच गति में जाना पड़े। और शिशु चूहे को ऊंचे स्थान पर रख दिया जिससे अन्य जीव उसे पीड़ा न पहुंचा पाए।
उन्होंेने कहा इस प्रकार आज आपके दिव्य शिष्य की प्रेरणा से सैकड़ों गौशालाएं संचालित हो गई हैं। जहां पर कल्त खानों से गौवंश को बचाया गया है। बचपन की दया आज दया का सागर बन गई है। ऐसे अहिंसा के पुजारी गुरूदेव को उन्होंने प्रणाम किया। प्रवचनों के बाद मुनिश्री की पथरिया नगर में आहारचर्या हुइ। इसके बाद दोपहर में दमोह की ओर बिहार हुआ।05/01/2019 को मुनि श्री का मगंल प्रवेश दमोह में होगी नीरज वैद्यराज पत्रकार
07582888109

Link to comment
Share on other sites

×
×
  • Create New...