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नव आचार्य श्री समय सागर जी को करें भावंजली अर्पित ×
मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज

 मेरी नज़र से विद्योदय....


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अन्य नगरों की तरह हमारे रुआबाँधा भिलाई को भी फ़िल्म विद्योदय देखने का पुण्यशाली अवसर मिला।
विद्योदय देखने से पहले से मन मे एक छवि थी कि फ़िल्म में कई पात्र अभिनय करेंगे।
लेकिन जब फ़िल्म आरम्भ हुई तो लगा इस फ़िल्म में अभिनय तो है ही नही जो है  वह तो जीवन्त सा वास्तविकता के निकट है सूत्रधार बड़ी कुशलता से चित्रों, दृश्यों, भावों से उन अविस्मरणीय पलो को जीवंत कर देता  बाल ब्रम्हचारिणी सुवर्णा दीदी, महावीर जी सदलगा एवम विद्याधर के बालसखा मित्र जब विद्याधर की कही अनकही उन बातों को बड़ी आत्मीयता से सुनाते  तब लगता हम सदलगा में ही बैठे साक्षात दृश्य देख रहे हो।
सदलगा के  अष्टगे परिवार के निवास  में रखा पालना देख लगता था वर्तमान के सभी जीवों के  पालनहार  शिशु बालक विद्याधर कुछ ही समय पहले पालने से उठे हो
फ़िल्म में रेत कलाकार की सरपट उंगलियों का स्पर्श मनोभावों को दर्पण सा उकेर देता।
अजमेर के भागचंद जी सोनी के परिवार की माँ जब मुनिश्री विद्यासागर के प्रथम आहार की घटना सुनाती है तब लगता 50 वर्ष पूर्व का वह पल सामने ही हो।
जब जब आचार्यश्री चित्रपटल पर आते लगता  हम सभी साक्षात जीवन्त उनके चरणों मे बैठे हो
कई बार मुझे लगता मूकमाटी के कठिन शब्द अन्य दर्शक कैसे समझेंगे लेकिन मेरे पड़ोस में बैठी अनपढ़ माँ  को जब देखता तब उनके चेहरे के हाव भाव बता रहे थे वह भी मूकमाटी समझती  ओर जानती भी है।
कई बार पलके और मन भी भीग गया जब पूरा का पूरा अष्टगे परिवार मोक्षपथ पर आरूढ़ हो गया।
सभी दर्शक दम साधे उन जीवन्त पलो को तब तक आत्मसात करते रहे जब फ़िल्म समाप्त हुई फिर भी अनेको दर्शक अतृप्त, किसी मांत्रिक के मन्त्र प्रभाव में बंधे से बैठे रहे शायद इतनी जल्दी फ़िल्म का समापन उन्हें तृप्ति, संतुष्टि नही दे सका
राजेश जैन भिलाई
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mein iss vidyoday picture dwara sabhi jaankariyo do waky mein prakat kar sakta hu........----

gyansagar nein hire ko toh pahchana hi...saath hi saath unhe koyle ke khaal se hire ko dundh kar hqmara jiwan sundhar ne ka bhi kaam kar dia.......

jai ho !!!!

Acharya shri 108 Vidyasagar ji maharaj ......jai ho

 

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