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नव आचार्य श्री समय सागर जी को करें भावंजली अर्पित ×
मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज

दान देने वाले को पूरी दुनिया में सम्मान मिलता है


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घाटोल 24/11/2023

 

*मानस्तंभ की प्रतिमाओं को कमलासन पर विराजमान किया गया*

 

 *रोगी को निरोगी बनती है छाछ* 

 

 *दानियों के गौरव का बखान दुनिया में होता है* 

 

 *दान देने वाले को पूरी दुनिया में सम्मान मिलता है* 

 

 *करोड़ों वर्षों के उपवास का फल करोड़ों दानों का फल नवीन मंदिर निर्माण करने वाले को मिलता है* 

 

 *पाप का नाश करने के लिए दान सर्वश्रेष्ठ माध्यम है* 

 

श्री दिगंबर जैन अहिंसा मंदिर हेरो डेम घाटोल जिला बांसवाड़ा (राजस्थान) में परम पूज्य सर्वश्रेष्ठ साधक आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के शिष्य 

मुनि श्री विमल सागर जमहाराज ,मुनि श्री अनंत सागर जी महाराज, मुनि श्री धर्म सागर जी महाराज, मुनि श्री भाव सागर जी महाराज के सानिध्य में एवं ब्र तरुण भैया इंदौर के निर्देशन में 24 नवंबर 2023 को मांगलिक क्रियाएँ की गई और 

श्री वासुपूज्य दिगंबर जैन मंदिर में स्थित मानस्तभ की प्रतिमाओं को कमलासन पर विराजमान किया गया इस अवसर पर धर्म सभा को संबोधित करते हुए मुनि श्री विमल सागर जी महाराज ने कहा कि तन ,धन को साथी समझा था लेकिन यह भी छोड़ कर चले जाते हैं, सबसे बड़े कलाविद कहलाते हैं जो भेद विज्ञान जागृत करते हैं ,हमारा सच्चा साथी में स्वयं हूं ,गिनती के लोग ही आत्म तत्व के लिए मेहनत करते हैं, इस धरती पर दही छाछ तप को बढ़ाने वाले है, रोगी को निरोगी बनती है छाछ, तप की वृद्धि भी करती है, कोई किसी का नहीं है यह भजन दूसरों को सुनाने के लिए हैं , वैराग्य की पंक्तियां कर्म शत्रुओं को नष्ट करने के लिए होती हैं ,शमशान के समान वैराग्य नहीं होना चाहिए ,मुनि श्री भावसागर जी महाराज ने कहा कि दानियों के गौरव का बखान दुनिया में होता है ,दान देने वाला दुनिया का सरताज होता है,दान देने वाला करोडो में एक होता है,दान देने वाले को पूरी दुनिया में सम्मान मिलता है ,दान देने से लालच का अंत हो जाता है,सिद्ध भगवान की जो निष्ठा पूर्वक पूजा करता है वह लोकपाल बनता है, प्रथम स्वर्ग का कुबेर एक भव अवतारी होता है, लोकपाल का एक भेद कुबेर है,सिद्ध पूजा भव का अंत करने वाली है, सिद्धचक्र विधान कभी भी कर सकते हैं, करोड़ों वर्षों के उपवास का फल जन्म जन्मांतर में किया गया तप तथा करोड़ों दानो का फल यदि किसी को एक साथ मिल जाए तो वह नवीन मंदिर निर्माण करने वाले को मिलता है, संसार अंजुलिभर जल के सामान रह जाता है प्रतिमा विराजमान करने वाले का, पाप का नाश करने के लिए दान सर्वश्रेष्ठ माध्यम है, अपनी आमदनी का 25% 17% 10% दान करना चाहिए,पंचकल्याणक के चौथे चरण के पात्र चयन में इनको सौभाग्य *माहेंद्र इंद्र* जोधावत लोकेश कुमार *ब्रह्म इंद्र* सेठ राजेश कुमार को प्राप्त हुआ

Edited by SAUMYA UKAWAT
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