Palak Jain pendra Posted October 14, 2022 Report Share Posted October 14, 2022 वीर प्रभु की सूरत से, मिलती जुलती एक सूरत है, मन मंदिर मे वो मेरे, विद्या गुरु कि मूरत है, ना देखा है मैंने दूजा, ऐसा संत इस धरती पर, ओढ दिगंबर वेश जगत मे, जो आगम संयम धारी है। 1 1 Link to comment Share on other sites More sharing options...
Palak Jain pendra Posted October 14, 2022 Author Report Share Posted October 14, 2022 (edited) 6 hours ago, Palak Jain pendra said: कैसे पाउ दर्शन तेरे, थोडी दूर हूँ गुरुवर तेरे, मेरे भाव रहते व्याकुल, नैनन ये मेरे है आकुल, शीघ् दर्श प्रत्यक्ष होगा, मैं तेरे दर पे होगा, तू सामने होगा मेरे, मैं चरणों मे तेरे होगा। जय जिनेन्द्र Edited October 14, 2022 by Palak Jain pendra 3 Link to comment Share on other sites More sharing options...
Palak Jain pendra Posted October 14, 2022 Author Report Share Posted October 14, 2022 5 hours ago, Palak Jain pendra said: अनगिनत उपकार उनके, ऋण कैसे चुकाये हम, सौंप दे जीवन अपना, तो भी ऋण ना दे पाये हम, वो सूरज वो दिवाकर है, कैसे दीप दिखाए हम, विद्या सिंधु की धारा मे, बस बहते ही तो जाए हम। 2 Link to comment Share on other sites More sharing options...
Palak Jain pendra Posted October 14, 2022 Author Report Share Posted October 14, 2022 दिव्य देशना के कुछ शब्द काफी है, भव से पार लगाने को, गुरु तन कि छाया मात्र बहुत है, नैनन कि प्यास बूझाने को। 2 Link to comment Share on other sites More sharing options...
Palak Jain pendra Posted October 15, 2022 Author Report Share Posted October 15, 2022 (edited) क्या समर्पण मैं करुँ, शब्द भी तेरे दिए, ऐसा कुछ ना मेरे पास, जो सूरज को हम दे सके, असमां से चाँद भी मैं, दूँ सजा इस वसुंधरा पे, तो भी तेरे सम्मुख गुरुवर, चाँद भी फीका लगे, कोहनूर के हीरे को मैं, क्या अर्पण कर सकता हूँ, जिसने देह मे प्राण दिए, क्या उसे मैं दे सकता हूँ, जीवन समर्पित गुरु तुझे, अर्पण मेरे हर एक बोल, हर पल गुरु ही स्वास मेरी, अंतिम पल भी गुरु के बोल। Edited October 15, 2022 by Palak Jain pendra 2 Link to comment Share on other sites More sharing options...
Palak Jain pendra Posted October 15, 2022 Author Report Share Posted October 15, 2022 थम लो ना गुरु हाथ मेरा, जगत मे भीड़ भारी है, कहीं भटक ना जाऊ पथ से, मुझे बस आश तुम्हारी है। 2 Link to comment Share on other sites More sharing options...
Palak Jain pendra Posted October 15, 2022 Author Report Share Posted October 15, 2022 जो मिले है गुरु से शब्द, वो गुरु को समर्पित, हर पल हर क्षण, गुरु को हि अर्पित, सौभाग्य है मेरे ये, गुरु छत्र छाया मे हूँ, मिलने को खुद से ही, गुरुवर पद चरणों मे हूँ। 2 Link to comment Share on other sites More sharing options...
Palak Jain pendra Posted October 16, 2022 Author Report Share Posted October 16, 2022 अपना तो सब कुछ बाबा, तुझ पे हि छोड़ा है, तू सब कुछ देगा मालिक, मुझ को भरोसा है, मैंने ना चाहा ज्यादा, कम तू ना देता है, दोनों का नाता बाबा, जन्मो का लेखा है। नमोस्तु गुरुदेव 🙏🏻 2 Link to comment Share on other sites More sharing options...
Palak Jain pendra Posted October 16, 2022 Author Report Share Posted October 16, 2022 हां माना दर्शन दुर्लभ है, क्षेत्र से दुरी ज्यादा है, आज श्रद्धा नैनो से किये, कल साक्षात् करेंगे वादा है, हां माना आशीर्वाद तेरा है, चारों ओर फैला रहता है, आज दूर से आशीर्वाद लिया, कल पिछि से लेयेगे वादा है, हाँ माना चरणों मे अमृत है, दिखती मुझको जन्नत है, आज दूर से नमोस्तु किया, कल चरण छूयेगे वादा है। 2 Link to comment Share on other sites More sharing options...
Palak Jain pendra Posted October 16, 2022 Author Report Share Posted October 16, 2022 तो क्या हुआ आज दूर हूँ, चरणों को छू ना पाई हूँ, कल देखना तेरे पास मैं, पिछिका से लुंगी आशीर्वाद मैं। 2 Link to comment Share on other sites More sharing options...
Palak Jain pendra Posted October 17, 2022 Author Report Share Posted October 17, 2022 महावीर की प्रति छाया है, कुन्द कुन्द के जीवंत रूप, वो मेरे घन श्याम है, मैं मीरा सी भक्तन उनकी, एक दिन चन्दन बाला बन, मैं चौक पूराऊगी चौके का, विद्या गुरु के रूप मे, वो घर आएंगे वीरा सा। 2 Link to comment Share on other sites More sharing options...
Palak Jain pendra Posted October 18, 2022 Author Report Share Posted October 18, 2022 गुरु विद्यासागर कि जय, ओह मेरे गुरुवर कि जय, आचार्य श्री मेरे अरिहंता, है भावी तीर्थंकर वो भगवन्ता, वो मंद मधुर मुस्कान, है मेरे गुरु जी महान, वो सिद्ध परम उपकारी, है गुरुवर पंच महाव्रत धारी, मैं उनको शीश नवाऊ, नित उनके ही गुण गाऊ, चरणों के जीवन गुजारु, मैं गुरु ऐसी अरज लगाउ। 2 Link to comment Share on other sites More sharing options...
Palak Jain pendra Posted October 18, 2022 Author Report Share Posted October 18, 2022 वसुन्धरा मे वरदान है गुरु, जैनों के भगवान है गुरु, मोती के माला है गुरु, युग मे जीवंतशाला है गुरु, उनका हर एक पग, पहचान है आगम की, उपदेश देती प्रभुवर का, शांत मुद्रा देख गुरु की। 2 Link to comment Share on other sites More sharing options...
Palak Jain pendra Posted October 18, 2022 Author Report Share Posted October 18, 2022 नत मस्तक होता जग सारा, नत मस्तक देव भी होते है, कुन्द कुन्द कि परम्परा का, पालन गुरुदेव जो करते है, आकार मिला फिर से जिनसे, धर्म नीव मजबूत करवाई है, अरिहंत रूप ले कर जिसने, महा वीर ध्वजा फहराई है। 2 Link to comment Share on other sites More sharing options...
Palak Jain pendra Posted October 18, 2022 Author Report Share Posted October 18, 2022 क्या हुआ आँखो से देख नहीं पाया मैं, तेरी याद का आना काफी है, तू साथ है मेरे यकीन है मुझे, इस बात का होना काफी है, दूर हो कर भी पास है तू मेरे, तेरा साथ होना हि काफी है, चरणों को छूया नहीं तो क्या हुआ, आशीष साथ है मेरे ये अहसाह हि काफी है। 2 Link to comment Share on other sites More sharing options...
Palak Jain pendra Posted October 19, 2022 Author Report Share Posted October 19, 2022 गुरु का आशीर्वाद ही, मेरी सबसे बड़ी धरोहर है, ना चाहत रत्न आभूषण कि, मुझे चाहत रत्नाकर कि है, वो सूरज की पहली किरण, वो चांदनी सी मुस्कान है, और दाता मे सबसे बड़े, वो ऋषि राज महान है। 2 Link to comment Share on other sites More sharing options...
Palak Jain pendra Posted October 19, 2022 Author Report Share Posted October 19, 2022 गुरु अथाह गुरु उत्कृष्ठ हम निरा निकृष्ठ गुरु सिंधु है हम एक बिंदु भी नही जतन यही कि उन महा सिंधु की बिंदु का भी साथ मिले अपना कर लूँ उद्धार इस अधम का हो जाये बेड़ा पार। 2 Link to comment Share on other sites More sharing options...
Palak Jain pendra Posted October 19, 2022 Author Report Share Posted October 19, 2022 तोड़ा जग से नाता तुम्हें अपना माना है॥ तुम्हीं तो हितेशि हो दिल से पहचाना है ॥ हम दास है चरणो के पहचान अमर कर दो॥ गुरुवर हम आए है, हमें अपनी शरण ले लो ॥ 2 Link to comment Share on other sites More sharing options...
Palak Jain pendra Posted October 19, 2022 Author Report Share Posted October 19, 2022 गुरू जी, आपके दर्शन को तरसती है आँखे तरसते तरसते जब बरसती हैं आँखें बरसते बरसते जब थमती है आँखें फिर से आपके दर्शन को तरसती है आँखें। 2 Link to comment Share on other sites More sharing options...
Palak Jain pendra Posted October 20, 2022 Author Report Share Posted October 20, 2022 मन मे एक दीप जलाये, बस गुरु को पूजा है, जो जग मे सर्व श्रेष्ट, उन सा ना दूजा है, जो काले आकाश मे, चाँद से चमकते है, जो घने अंधकार मे, जुगनू से दमकते है, जो तीर्थंकर सा तेज लिए, विश्व को महकाते है, ऐसे गुरु विद्या सागर, गुरु तीर्थ कहलाते है। 2 Link to comment Share on other sites More sharing options...
Palak Jain pendra Posted October 20, 2022 Author Report Share Posted October 20, 2022 गुरुवर तेरे चरणों मे मैं, दिन रात निकलूंगा, तेरे सम्मुख बैठे तेरी, छवि निहारुगा, देख ह्दय से तुझको भगवन, जन्म सुधारुगा, भावों कि शुभ थाल सजाकर, पूजा रचाउगा, ह्दय वेदी मे तुझको लाकर, तुझे विराजुगा, मन मंदिर मे आकर भगवन, करना मुझको निहाल, नैनो से फिर दिखते रहना, सुनना भक्त पुकार।🙏🏻🙏🏻 2 Link to comment Share on other sites More sharing options...
Palak Jain pendra Posted October 20, 2022 Author Report Share Posted October 20, 2022 विद्या सा दूजा ढूँढू कहा, उनसा ना दूजा जग मे दिखा, वो ऐसे हीरे मोती है, जिसे ज्ञान ने जोहरी सम परखा, ऐसे साधक कि साधना भी देखो, तप की अग्नि मे तपती है, रख कदम मोक्ष की राहों मे, समता क्षमता सी निखरती है। 2 Link to comment Share on other sites More sharing options...
Palak Jain pendra Posted October 20, 2022 Author Report Share Posted October 20, 2022 जिनके मुख से मुकमाटी सा, आध्यात्म रस है बहता, जिनको सुनकर श्रोता जन को, निज दर्शन है होता, ऐसे साधक गुरु विद्यासागर की, साधना हर पल झलकती, समता क्षमता तप संयम की, बगिया गुरुवर मे महकती। 2 Link to comment Share on other sites More sharing options...
Palak Jain pendra Posted October 21, 2022 Author Report Share Posted October 21, 2022 तोड़ दिए है सारे बंधन, नाता जग से तोड़ लिया, रत्नत्राय धार लिया गुरु ने, नाता प्रभु सँग जोड़ लिया, बढा दिया है कदम अपने, मोक्ष पथ की राहों मे, लिए ज्ञान का ज्ञान साथ, संयम पथ की राहों मे। 2 Link to comment Share on other sites More sharing options...
Palak Jain pendra Posted October 21, 2022 Author Report Share Posted October 21, 2022 चाँद सी शीतलता है, तो रवि सा तेज भी, मुख मे कोमलता है, तो अमृत सा ज्ञान भी, चरणों मे चरणामृत है, तो मधुवन सा तीर्थ भी, हाथो मे पिछिका है, तो प्रभु सा आशीर्वाद भी। 2 Link to comment Share on other sites More sharing options...
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