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चेतना के गहराव में -विशीष्ट काव्य संग्रह - आचार्य विद्यासागर जी
Chetna Ke Gehrav Main - Poems by Acharya VidyaSagar Ji
चेतना के गहराव का मतलब तप्त नहीं तृप्त, कलान्त नहीं शांत, कष्ट नहीं तुष्ट संपुष्ट हो, निरंतर अभय की अनुभूति के साथ निराबाध यत्र-तत्र-सर्वत्र स्वतंत्र एकाकी यात्रा |