ध्वजा वायु से - आचार्य विद्यासागर जी द्वारा रचित हायकू २५
ध्वजा वायु से,
लहराता पै वायु,
आगे न आती।
भावार्थ - जिस प्रकार ध्वजा के लहराने में मुख्य सहायक निमित्त वायु का वेग ही है लेकिन वायु कभी भी आगे आकर अपने अस्तित्व का प्रदर्शन नहीं करती। इसी प्रकार सच्चे गुरुदेव, माता, पिता और हितैषी मित्रगण क्रमशः अपने शिष्य को, अपने पुत्र को और अपने मित्र को उसके विकास में बिना किसी प्रदर्शन का कर्त्तत्व भाव से सहयोग करते हैं ।
हायकू जापानी छंद की कविता है इसमें पहली पंक्ति में 5 अक्षर, दूसरी पंक्ति में 7 अक्षर, तीसरी पंक्ति में 5 अक्षर है। यह संक्षेप में सार गर्भित बहु अर्थ को प्रकट करने वाली है।
आओ करे हायकू स्वाध्याय
- आप इस हायकू का अर्थ लिख सकते हैं।
- आप इसका अर्थ उदाहरण से भी समझा सकते हैं।
- आप इस हायकू का चित्र बना सकते हैं।
लिखिए हमे आपके विचार
- क्या इस हायकू में आपके अनुभव झलकते हैं।
- इसके माध्यम से हम अपना जीवन चरित्र कैसे उत्कर्ष बना सकते हैं ?
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