जीवन का निर्वाह नहीं निर्माण करना है !
वीर शासन जयंती एवं प्रतिभा स्थली के बच्चों ने विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम दिखाए !
चंद्रगिरी डोंगरगढ़ छत्तीसगढ़ में विराजमान दिगम्बर जैन आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी ने कहा की प्रतिभा स्थली के बच्चों ने विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम दिखाए शीत, हवा, पौधे, आदि के रूप में मुखोटा लगाकर कार्यक्रम प्रस्तुत किया !
“मै राष्ट्रीय पशु न सही लेकिन राष्ट्रीय संत की गाये हूँ”
“बच्चों ने कहा की आचार्य श्री कहते हैं की मंदिर में लगने वाले पत्थर की चीप बनो चिप नहीं चीफ (मुख्य) है ! प्रतिभा स्थली में लगभग 500 छात्राएं शिक्षा ग्रहण कर रही है ! बच्चों ने अडवांस में राखी भेंट की आचार्य श्री को आज हम महावीर को नहीं देख पा रहे हैं पर हम गुरु के माध्यम से उन्हें जान रहे हैं ! हम इस परंपरा में आये इसलिए वीर प्रभु हमसे दूर नहीं और हम उनसे दूर नहीं! एक – एक क्षण को उपयोग करो और कराओ ! आप लोग नदी बने तालाब नहीं, पानी पर टला लगा दिया जाए उसका नाम तालाब होता है ! हम बहुत सारे तीर्थों से जुड़े हैं चतुर्थ काल से पंचम काल और आगे जब तक तीर्थ नहीं आता है अभी महावीर का शासन काल चल रहा है ! हर व्यक्ति अपने आप को उन्नत बनाना चाहता है ! शारीर के दास नहीं बनो गुणों के साथ शारीर का सम्बन्ध होना चाहिए ! हम वासना के दास नहीं बने ! उत्साह जरुरी है पुरस्कार भी जरुरी है ! उत्साह अलग है प्रेरणा अलग है ! आत्मा की खुराक तो ज्ञानामृत है ! इमली को मुख से निकालो तभी लड्डू का स्वाद आएगा ! इस शरीर को पेट्रोल (भोजन) नाप तौल कर ही दो ! जीवन का निर्वाह नहीं निर्माण करना है ! अच्छे कुम्भकार की तलाश करो ! आप लोगों के लिए बोध बहुत हो गया अब शोध की आवश्यकता है !
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