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मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज

शान्ति के लिये संतोष आवश्यक है | आचार्य श्री विद्यासागर महाराज ०१/०२/२०२३


डोंगरगढ़ – संत शिरोमणि 108 आचार्य श्री विद्यासागर महाराज ससंघ चंद्रगिरी डोंगरगढ़ में विराजमान है | आज के प्रवचन में आचार्य श्री ने कहा की यहाँ छोटे – छोटे गाँव के लोग बहुत ही भाग्यशाली है बड़े – बड़े महानगरों की तुलना में जिन्हें अपनी मेहनत और परिश्रम में विश्वास होता है | यदि आप बबुल का बिज बोगे तो कांटे मिलेंगे और आम का बिज बोगे तो आम के मीठे – मीठे फल मिलेंगे | कर्म करो फल की चिंता मत करो | कर्म अच्छा करोगे तो फल भी अच्छा ही मिलेगा लेकिन उसके लिये उचित समय तक इंतजार करना पड़ेगा | गाँव के लोग परिश्रम करते है तो उन्हें आराम करने में भी आनंद आता है और शहर के लोगो को सोने के लिये भी गोलियां खानी पड़ती है | गाँव के लोगों में व्याकुलता नहीं होती है उनके परिणाम स्वच्छ और शांत होते है वे संतोषी होते है | यदि आपको शान्ति की अनुभूति चाहिये तो आपको कहीं देश – विदेश, महानगरों आदि में जाने की आवश्यकता नही है आपके पास जो है उसी में संतुष्ट हो जाओ तो शान्ति अपने आप मिल जायेगी | गाय जब गर्भ धारण करती है तो उसकी समुचित व्यवस्था प्रकृति अपने आप कर लेती है | प्रसव काल के दौरान सारी प्रक्रिया प्राकृतिक तरिके से अपने आप होती है  और बछड़े के जन्म के बाद  गाय के थन में ममत्व के कारण दूध अपने आप भर जाता है | परन्तु आज मनुष्य इस प्राकृतिक प्रक्रिया को शल्य क्रिया के द्वारा करवाता है जिससे माँ और बच्चे पर इसका असर पड़ता है | 80 प्रतिशत प्रसव शल्य चिकित्सा के द्वारा किया जा रहा है जो की पूर्ण रूप से व्यवसायिक हो गया है | इसका आप लोगो को मिलकर विरोध करना चाहिये | यह एक प्राकृतिक क्रिया है जो स्वमेव होती है और होती रहेगी| गाय के गोबर का प्रयोग घरों में आँगन आदि लीपने में किया जाता था जिससे ठण्ड में गर्मी तथा गर्मी में घर का वातावरण ठंडा रहता था और गाय को घर में रखने से प्रदूषण भी नहीं होता | पहले घरों में गाय के गोबर से चूल्हा लिपा जाता था और चूल्हे के धुएं से आँखों में आंसू आने के कारण आँखें भी साफ हो जाती थी | हम जो कर्म आज कर रहें है उसका फल भविष्य में मिलना निश्चित है इसलिए हमें अपने कर्म, भाव और परिणाम को स्वच्छ और संयमित रखना चाहिये | आज आचार्य श्री को नवधा भक्ति पूर्वक आहार कराने का सौभाग्य श्री चंद्रकांत जैन परिवार राजनंदगांव छत्तीसगढ़ को प्राप्त हुआ जिसके लिए चंद्रगिरी ट्रस्ट उनको बहुत बहुत बधाई और शुभकामनायें देती है |

PRAVACHAN_01-02-2023.docx

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