प्रथम धारा : मूल संस्कार विधि संपन्न
प्रथम धारा : मूल संस्कार विधि संपन्न
जिंतूर, अतिशय क्षेत्र नेमगिरी परभणी जिला का क्षेत्र आज पूरे भारत में आकर्षण का केंद्र बना रहा जहाँ युग के महान आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज, निर्यापक श्रमण प्रसाद सागर जी महाराज, चंद्रप्रभ सागर जी महाराज, निरामय सागर जी जी महाराज, नमित सागर जी महाराज, भास्वत सागर जी महाराज ने 1000 बालकों को आचार्य जिनसेन प्रचीत 1000 वर्ष प्राचीन आदि पुराण" पर आधारित संस्कार प्रदान किए। ज्ञातव्य हो कि प्राचीन भारत में हर धर्म समुदाय में ये परपरा प्रचलित थी किन्तु आधुनिकता की दौड़ में हम ये सब भुला चुके है इन संस्कारों से बालक हिंसा झूठ चोरी कुथील आदि पापों से बचा रहता है|
सभी बालक सिर का मुंडन कराकर पंडाल में जुलूस के साथ पहुंचे जहाँ मुनिश्री ने मंगलाष्ठक द्वारा क्रिया प्रारंभ कारवाई / ब्र. विनय भैया बंडा ने शुद्धिकरण क्रियाएँ करवाकर संकल्पका उच्चारण कराया|
आचार्य श्री ने सभी बालको को आशीर्वाद देते हुए कहा की ये संस्कार संसार समुद्र को नाश करने वाले है, उच्च आदर्श जीवन जीने के लिए है, परोपकार मानव सेवा के लिए, देश की सेवा के लिए है। ब्र.तात्या,सचिन, अशोक मधुर पंकज आदि भाईयों व जैन समाज जिंतूर, नवयुवक मंडल का सहयोग प्रशंसनीय रहा| विद्यासागर डांट गुरु ऐप्प द्वारा ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन आईडी आदि कार्य सुगम व सहयोगात्मक कर दिया| कमेटी अध्यक्ष धन्यकुमार साहूजी, ने आभार व्यक्त किया।
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