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स्थान समय - आचार्य विद्यासागर जी द्वारा रचित हायकू ८०


संयम स्वर्ण महोत्सव

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haiku (80).jpg

 

 

स्थान समय,

दिशा आसन इन्हें,

भूलते ध्यानी।

 

हायकू जापानी छंद की कविता है इसमें पहली पंक्ति में 5 अक्षर, दूसरी पंक्ति में 7 अक्षर, तीसरी पंक्ति में 5 अक्षर है। यह संक्षेप में सार गर्भित बहु अर्थ को प्रकट करने वाली है।

 

आओ करे हायकू स्वाध्याय

  • आप इस हायकू का अर्थ लिख सकते हैं
  • आप इसका अर्थ उदाहरण से भी समझा सकते हैं
  • आप इस हायकू का चित्र बना सकते हैं

लिखिए हमे आपके विचार

  • क्या इस हायकू में आपके अनुभव झलकते हैं
  • इसके माध्यम से हम अपना जीवन चरित्र कैसे उत्कर्ष बना सकते हैं ?

1 Comment


Recommended Comments

"स्थान समय,

दिशा आसन इन्हें,

भूलते ध्यानी।"

अर्थ-: ध्यानी अपने ध्यान में इतना ज्यादा मग्न हो जाता है कि बो कहा बैठा है कितने समय से बैठा है और किस आसन में बैठा है उसे भी पता नहीं चलता।

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