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मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज

शील संभालना


संयम स्वर्ण महोत्सव

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पाँचों अणुव्रतों को दूषित कभी नहीं होने देना।

पाँच तरह के अनर्थ दण्डों की न कभी जागे सेना॥

पंचेन्द्रिय के वश में होकर कभी न दुर्यश को लेना।

ऐसा शील भवोदधि में संवरमय दृढ़ नौका खेना ॥१७८॥

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