शंका - गुरुवर के चरणों में नमोऽस्तु! नमोऽस्तु! नमोऽस्तु! मेरी जिज्ञासा है कि आचार्यश्री के बारे में कहा जाता है कि वह बहुत बड़े अष्टांगनिमित्त ज्ञाता हैं। क्या सही है?
- डॉ. सीमा जैन
समाधान - यह बात बिल्कुल सही नहीं है। अपने आपको निमित्तज्ञाता न कभी उन्होंने कहा, न कभी हममें से किसी ने कहा। वह किसी भी तरह का निमित्तज्ञान लगाते नहीं हैं। हाँ! बस इतना जानता हूँ कि उनके निमित्त से कई लोगों को ज्ञान मिल जाता है और जीवन का कल्याण हो जाता है। वह निमित्तज्ञाता नहीं हैं, लेकिन निमित्त से लोगों के त्राता तो जरूर बन गए हैं। वह ऐसे निमित्त बने हैं कि सारे जगत् के त्राता हो गए। ऐसे गुरुदेव के चरणों में हम लोग विनयाञ्जलि अर्पित कर रहे हैं।