शंका - गुरुदेव! नमोऽस्तु! मेरा प्रश्न यह है कि आचार्यश्री बिल्कुल ही रसहीन आहार लेते हैं, इसका क्या कारण है?
- श्री अशोक जैन, झिरौता, किशनगढ़
समाधान - एक ही पंक्ति में आपकी बात का जवाब दूंगा। जिन्हें भीतर का रस मिलने लगता है, उनको बाहर के रस में रस नहीं
आता।