शंका - मेरे अन्तर्मन में विराजमान आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के चरणो में नमोऽस्तु अर्पित करते हुए मैं आपके पावन चरणो में कोटि-कोटि नमन अर्पित करता हूँ। पूज्य मुनिवर! वर्तमान जीवन का अन्त उत्तम समाधिमरण पूर्वक हो, इसके लिए हमें क्या क्या तैयारी करनी चाहिए ?
- डॉ. सत्येन्द्र जैन, दमोह
समाधान - देखिए समाधिमरण की तैयारी में सबसे पहली तैयारी है कि हम अपने परिणामों के प्रहरी बने। यथासम्भव हम अपने मन को निर्मल बनाने की कोशिश करें। एक मरण-समाधि है, एक चित्त-समाधि है। मरण की समाधि तो अन्त में होती ही है, मगर चित्त की समाधि हर पल होनी चाहिए। हमारा चित्त शान्त हो, संयत हो, सन्तुलित हो और स्वस्थ हो, यह प्रयास हमारा होना चाहिए। उसे बनाए रखने के लिए हमें निमित्तों से अप्रभावित रहने का प्रयास करना चाहिए। भेद-विज्ञान की भावना हर समय भाते रहना चाहिए। यह एक प्रकार से कषाय-सल्लेखना का ही प्रकार है। अपने शरीर से जितना बन सके, त्याग-तपस्या का अभ्यास करते रहना चाहिए। जितना त्याग कर सकें, जितनी तपस्या कर सकें, शरीर व साधना के मध्य सन्तुलन बनाते हुए आगे बढ़ना चाहिए। फिर जब समय आए। तो समाधि ले सकते हैं।