शंका - महाराज जी! नमोऽस्तु! सबसे पहले तो आचार्य भगवान् के चरणों में अपना समाधिमरण करने की भावना के साथ में प्रश्न रख रही हूँ कि महाराज जी! आचार्य गुरुदेव ने तो अपने गुरुदेव ज्ञानसागर जी महाराज की बहुत ही उत्कृष्ट समाधि करवाई थी। वैसे तो आचार्यश्री ने बहुत सारी समाधि करवाई हैं, पर महाराज जी ऐसा कोई संस्मरण सुनाइए जिसमें उन्होंने श्रावक की समाधि कराई हो।
- डॉ. ज्योति जैन, उदयपुर
समाधान - उनके सान्निध्य में अनेक समाधियाँ हुई और कुछ समाधियों में सहभागी होने का मुझे भी सौभाग्य मिला। 1978-79-80-81-82 में अनेक श्रावकों की समाधि कुण्डलपुर, खासकर नैनागिरि में बहुत समाधियाँ हुईं। जो व्रती श्रावक थे, उन्हें दस प्रतिमा के व्रत देकर बहुत योग्य रीति से सल्लेखना कराई। उसमें मैं उपस्थित नहीं था। लेकिन एक सज्जन थे दमोह के शायद लहरी जी (भगवानदास जी लहरी), वह कैंसर के शिकार थे। गुरुदेव के सान्निध्य में उनकी स्वर्णिम यात्रा समाधि हुई, बहुत उत्कृष्ट समाधि हुई । गुरुदेव एक अच्छे निर्यापक तो हैं ही एक बहुत अच्छे चिकित्सक भी हैं। कैंसर के शिकार लोगों की भी उन्होंने इतने अच्छे तरीके से सल्लेखना कराई कि मत पूछो। एक श्रावक की लघु शंका रुक गई थी, केथेनर लगा हुआ था। गुरुदेव ने सब हटवा दिया और कहा- ठण्डे-गर्म पानी की सेक करो, पट्टी दो, सब ठीक हो जाएगा। 15 मिनिट में उनका मूत्र-प्रसवन हो गया और बहुत अच्छे तरीके से उनकी सल्लेखना हुई। हमारे संघ में एक ऐलक जी थे - निशंकसागर जी महाराज। 1993 में उनके पिता जी राजधर लालजी, वह व्रती थे। अपेंडिक्स का दर्द उठा, वह समझे नहीं। वह पेट वगैरह को मसलकर देहात में जैसी क्रिया करते हैं वह सब कर लिए। नस बैठाने की क्रिया देहाती करते हैं, कर लीं। उससे उनकी आँतें उलझ गईं। मेजर ऑपरेशन हुआ पर कोई मामला सुलझा नहीं। डॉक्टरों ने जवाब दे दिया। गुरुचरणों में पेट में नली लगाकर आए थे। गुरुदेव ने उनको देखा। सारी नलियाँ हटवा दीं और उसके बाद 11 दिन तक जल पर रहे और बीनाबारहा में उनकी उत्कृष्ट समाधि हुई। बहुत सारी सल्लेखनाएँ हैं। जैसे राजधर जी के बड़े भाई की समाधि हुई। एक मुनि महाराज वैराग्यसागर जी महाराज की बहुत उत्कृष्ट समाधि हुई जो मैंने देखी। पपौरा जी में मैंने देखा। इस प्रकार समाधि के विषय में उनका बहुत अच्छा तजुर्बा है। और इतने अनुभव से उनके मार्गदर्शन में समाधि हुई जिसे बताया नहीं। जा सकता।