भोपाल में महावीर जयंती मनाने के उपरांत सिद्धोदय सिद्धक्षेत्र नेमावर की ओर विहार हो गया। कुछ दिन पश्चात हमारे पैर में दर्द शुरू हो गया कारण हरपिश रोग हो गया यह बड़ा खतरनाक पीड़ादायक रोग माना जाता है। मैंने आचार्य श्री जी से कहा कि न जाने आचार्य श्री जी कौन-सा कर्म का उदय आ गया जो इतना बड़ा रोग घेर गया। आचार्य श्री जी ने कहा, भैया - "यह कर्म का उदय पराये घर के समान है।” जिसमें हमारी कुछ नहीं चलती। आचार्य श्री ने हमें एक ऐसा सूत्र दिया जिसके माध्यम से जीवन में आये हुये कर्मों के उदय को हम समता के साथ सहन कर सकते हैं।