Jump to content
नव आचार्य श्री समय सागर जी को करें भावंजली अर्पित ×
अंतरराष्ट्रीय मूकमाटी प्रश्न प्रतियोगिता 1 से 5 जून 2024 ×
मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज
  • ज्ञान के साथ वैराग्य भी

       (0 reviews)

    किसी ने आचार्य श्री जी से पूछा कि- ज्ञान को ही मोक्ष का कारण मानने में क्या बाधा है। ज्ञान या जानकारी होना पर्याप्त है। मोक्षमार्ग के लिए? तब आचार्य श्री जी ने कहा कि- मोक्षमार्ग में कोरा ज्ञान काम नहीं करता जब तक कि- ज्ञान के अनुसार आचरण न हो। ज्ञान, ध्यान और संयम इन तीनों से मोक्ष की सिद्धि होती है। ज्ञान, ध्यान के साथ भी यदि वैराग्य और संयम नहीं है तो कल्याण नहीं हो सकता। जैसे पेट्रोल, लाइट होने पर गाड़ी में ब्रेक होना भी आनिवार्य है।

     

    दूसरी बात यह है कि- रसोई का ज्ञान कर लेने से भूख नहीं मिट जाती बल्कि भोजन करने से भूख मिटती है। मोक्षमार्ग में ज्ञान कम हो तो चल जाएगा लेकिन चारित्र निर्दोष होना चाहिए। कम ज्ञान एवं धीमे चाल से चलने वाला कछुआ भी अधिक ज्ञान और तेज रफ्तार वाले अभिमानी एवं सोते हुए खरगोश से अपनी मंजिल पर पहले पहुँच जाता है। एक बात हमेशा याद रखें- सद्गति में ले जाने की शक्ति ज्ञान में नहीं, चारित्र में है।

     

    ज्ञान होने के बाद भी बार-बार अशुचि भावना का चिंतन करना चाहिए तभी वैराग्य स्थिर रह सकता है। जैसे कंठस्थ होने पर भी यदि बार-बार पाठ नहीं किया जाता तो वि यि को भूल जाते हैं। वैसे ही शरीर के स्वभाव का चिंतन न किया जाए तो वैराग्य स्थिर नहीं रह सकता। आचार्य श्री जी ने उदाहरण देते हुए कहा कि जैसे डॉक्टर शरीर की अपवित्रता के बारे में अच्छी तरह से जानते हैं, क्योंकि वे शरीर के प्रत्येक अंग की चीड़ा-फाड़ी करते रहते हैं फिर भी उन्हें वैराग्य नहीं आता। इसी प्रकार मोक्षमार्ग में कोरा ज्ञान काम नहीं करता। जानना-मानना अलग बात है और उस पर अमल करना अलग बात है। साधु शरीर से धर्म साधना करते हुए भी उससे ममता नहीं रखते। यह उनका बहुत बड़ा पुरुषार्थ है। समझो उनका हमेशा स्वाध्याय चल रहा है। आत्मा और शरीर के भेद को जानकर शरीर से ममत्व भाव नहीं रखना ही तो ज्ञानी का लक्षण है।

     

    सम्यग्दृष्टि के पास ज्ञान और वैराग्य ये दो शक्तियाँ हुआ करती हैं। जैसे युद्ध में योद्धाओं के पास तलवार और ढाल दोनों चीजें हुआ करती हैं। तभी वह ढाल से प्रहार को रोकता हुआ, तलवार से सामने वाले पर प्रहार करता हुआ युद्ध में विजयी होता है। वैसे ही ज्ञान और वैराग्य मोक्षमार्ग में कर्म रूपी योद्धा से लड़ने के लिए तलवार और ढाल का काम करते हैं। ज्ञान रूपी तलवार से कर्मशत्रुओं पर प्रहार करो और वैराग्य की ढाल से उसके प्रहार से बचाव करो।


    User Feedback

    Create an account or sign in to leave a review

    You need to be a member in order to leave a review

    Create an account

    Sign up for a new account in our community. It's easy!

    Register a new account

    Sign in

    Already have an account? Sign in here.

    Sign In Now

    There are no reviews to display.


×
×
  • Create New...