कुछ सामाजिक व्यवस्थाओं को लेकर चर्चा चल रही थी तब आचार्य महाराज ने कहा - छोटे-बड़े लोगों को मिलाना, उनमें एकता कराना बहुत सरल होता है। वे एक-दूसरे के पूरक बनकर कार्य करते हैं। एक-दूसरे से सलाह लेकर विचार-विमर्श करके कार्य करते हैं उनमें सामञ्जस्य अच्छा बना रहता है लेकिन जो समकक्ष होते हैं, उनको मिलाना, उनमें एकता लाना बड़ा ही कठिन कार्य है। वह उसी प्रकार कठिन है जैसे रेल की पटरी या यूँ कहो दो समानांतर रेखाओं को मिलाना।