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नव आचार्य श्री समय सागर जी को करें भावंजली अर्पित ×
अंतरराष्ट्रीय मूकमाटी प्रश्न प्रतियोगिता 1 से 5 जून 2024 ×
मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज
  • कर्तव्य दृष्टि

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    राजधानी भोपाल में आचार्य श्री के सान्निध्य में पंचकल्याणक गजरथ महोत्सव का कार्यक्रम चल रहा था। गजरथ फेरी के दिन प्रतिष्ठाचार्य महोदय ने आचार्य महाराज से कहा कि- हाथी को पहले से ज्यादा खिलाया-पिलाया नहीं जाता। वरना वह रथ फेरी के समय गड़बड़ कर देगा फिर उसे कोई सम्हाल नहीं पावेगा। उसमें स्फूर्ति आ जाती है फिर वह महावत से भी नहीं डरता उसे कंट्रोल में रखना बड़ा मुश्किल काम हो जाता है। यह सब आचार्य भगवन् चुपचाप सुनते रहे और यह बात अपने शिष्यों पर लागू करते हुए हँसकर बोले- आज एक बात मालूम चली कि शिष्यों को ज्यादा लाड़-प्यार नहीं करना चाहिए वरना वे गड़बड़ करने लगते हैं। यही बात माता-पिता को भी सोच लेना चाहिए कि वे अपने बच्चों को ज्यादा लाड़-प्यार न करें वरना बच्चे गड़बड़ करने लगते हैं।

     

    आचार्य महाराज प्रत्येक वस्तु में, वाक्य में, अपना सार तत्त्व खोज लेते हैं अपना लक्ष्य देख लेते हैं। उनकी दृष्टि इस दृश्यमान सृष्टि को देखते हुए भी अपने में रहती है। इससे शिष्यों एवं पुत्रों को यह शिक्षा मिलती है कि- वे गुरु एवं माता-पिता की सरलता का नाजायज फायदा न उठावें एवं सन्मार्ग पर लगे रहें। गुरु की, माता-पिता की आज्ञा का पालन करें तभी उनका जीवन सफल होगा। क्योंकि माता-पिता और गुरु कभी पुत्र और शिष्य का अहित नहीं चाहते बल्कि उनका अनुशासन का हथौड़ा हम सभी की कमजोरियों को निष्कासित करने में परम सहायक होता है।


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