विहार करता हुआ पूरा संघ अकलतरा की ओर बढ़ रहा था, वहाँ जाने के लिए दो रास्ते थे एक पक्की सड़क से होकर और एक कच्चे रास्ते से होकर जाता था। कच्चा रास्ता दूरी में कम पड़ता था। वहा अनेक लोगों ने अपने-अपने ढंग से रास्ता बताया कुछ महाराज पहले ही बताये गये रास्ते से आगे निकल गये। एक वृद्ध दादा जी ने आकर बताया कि - बाबाजी आप लोग तो सीधे इसी रास्ते से निकल जाइये, आप जल्दी पहुँच जायेंगे और रास्ता भी ठीक है, मैं इस रास्ते से अनेकों बार आया गया हूँ। तब आचार्य महाराज जी के साथ हम सभी महाराज उसी रास्ते पर चल दिये आगे चलकर देखा रास्ता एकदम साफ-सुथरा था एवं दूरी भी कम थी। आचार्य महाराज जी ने कहा – देखो उस वृद्ध का बताया हुआ रास्ता एकदम सही है क्योंकि यह अनुभूत रास्ता है। इसी प्रकार मोक्ष मार्ग में हर किसी के बताये रास्ते पर नहीं चलना चाहिए, बल्कि जो अनुभूत कर चुके हैं ऐसे ही वीतरागी गुरु के बताये रास्ते पर चलना चाहिए। तभी हम सुरक्षित और जल्दी मोक्षमार्ग प्राप्त कर सकते हैं और जल्दी मुक्ति भी प्राप्त कर सकते हैं।