व्रतों के पालन से व्यक्ति में बड़प्पन आता है। व्रतों के प्रति भीति से ओछापन आता है वे इस ओछापन से बचने का संकेत दिया करते थे। व्रतों के प्रति बहुमान रखना ही व्रती की निष्ठा/प्रतिष्ठा का कारण बनता है। गर्मी, सर्दी, वर्षा ये तो बाह्य हैं, लेकिन अंतरंग साधना के लिए पाँच अणुव्रत तीन गुणव्रत और चार शिक्षाव्रत इस प्रकार १२ व्रत, १२ तप के समान हैं फिर नौ तपा से क्या डरना ? ऐसी व्रतों के प्रति निष्ठा रखने वाले तपोनिष्ठ आचार्य श्री ज्ञानसागर महाराजजी कहते थे।९ तपा से १२ तप बड़े हैं।