पहुँच गये आचार्य संघ था जहाँ
देखी संघस्थ हर छवि
कहाँ छिप गया बादलों में रवि?
आस-पास सुदू...र तक...
खोज ही रहे थे कि
सामने आते दिख गये
पिता को लगा भाव विभोर हो जायेगा
गले से लग जायेगा,
बदलकर अपना पथ
सदलगा की ओर चल देगा।
आँखों से आँखें मिल गईं
मानो बुझे दीप को ज्योति मिल गई
दोनों आँखें पसारे देखते रह गये
पर बेटे की आँखें नीचे झुक गईं।
दृश्य अदभुत था
प्राणों से भरा जीवंत था,
किंतु न जाने क्यों जो नितांत अपना था
वह पराया हुआ जा रहा था,
माँ का मन भर आया
पिता का दुलार उमड़ आया
मन कहने लगा
तुम्हें बाहों में भर लूँ
वक्षस्थल से लगा लूँ,
किंतु दूसरे ही क्षण
डूब गये विचारों में...
बेटा! अब तुम हो गये विराट
नन्हीं-सी है मेरी बाँह
समा न पाऊँगा तुम्हें,
मेरे वंश के अंश होकर भी
अब बेटा कह न पाऊँगा तुम्हें।
और बोल पड़े मल्लप्पाजी
विद्या!
प्यार से भरी शुद्ध तरंगें
झंकृत कर गयीं सबको,
पर बेटे ने कहा कुछ नहीं
तभी विश्वास दिलाते हुए बोले पिताश्री
गुरु महाराज से मैंने आज्ञा ले ली
तुमसे बात करने की,
गुरूवर ने तुम्हें बोलने की आज्ञा दे दी।
सुनकर अविचलित मन से
संयमित वचन से
पूछने लगे- पावन तीर्थ पर कब पधारे?
सुनते ही आवाज़
दंपत्ति के नेत्र छलक आये;
रूँध गया स्वर
काँपने लगे अधर
बहुत समय बाद सुनने मिले बोल,
अपनेपन से पकड़ हाथ बोले पिता
वत्स! कब चलोगे सदलगा?
सुनकर लगा कि...
माँ भी कुछ कहने वाली है:
अपना मोह उँडेलने वाली है।
विषय को बदल कर तभी
ज्ञान-तरंग ने कहा धीरे से
विद्या के मन में कि
“पराये जैसा व्यवहार किसी से करना नहीं है
और किसी को अपना समझना नहीं है
तब बोले गंभीरता से
आचार्य महाराज से आज बहुत कुछ मिलेगा!
देर नहीं करिये, शीघ्र चलियेगा...
चलते-चलते बोली माँ
कितने दिनों बाद मिला बेटा
आगे कुछ कहे इससे पूर्व
कह दी सारभूत वार्ता
“है क्या यह कम
जो इसी भव में पुनः मिल गये हम!!
तीव्र कर्मों के बीच रहते हुए भी
सच्चे देव, शास्त्र, गुरु का हुआ समागम
क्या महा सौभाग्यशाली नहीं हम?”
समझ गये मल्लप्पा
बात को घुमा रहा है बेटा...
मैं सदलगा के घर की बात कर रहा हूँ
यह निजगृह की बात कर रहा है,
देखकर नयन तो हुए तृप्त,
किन्तु हृदय प्यासा है
आये थे जिस आशा से
अब निराशा ही निराशा है
जो पास था वह दूर हो गया,
जो सपना था वह चूर हो गया।
कभी 'बाहुबली' की जयघोष सुनते
तो कभी प्रतिमा को निहारते
कभी मुनियों की वंदना करते
पर मन से विद्या ही विद्या को देखते।
सब कुछ लुटा-सा लगा
खोया-खोया सा मन ले
आ गये सदलगा।